गौरवशाली भारत

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गौरवशाली भारत के 10 आविष्कार जिन्होंने बदली दुनिया

आज हम आपको गौरवशाली भारत के 20 ऐसे अविष्कारों के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत को गौरवशाली महसूस करने का मौका दिया है। कोई भी आविष्कार तब पूरा होता है जब वह किसी विशेष जरुरत को पूरा कर पाने में सक्षम होता है। जिस तरह अतीत में आग और पहिये के आविष्कार ने मनुष्य सभ्यता के विकास क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ऐसे ही भारत के इन अविष्कारों के बिना सब कुछ बिलकुल अधुरा सा लगता है।

20 गौरवशाली अविष्कारों के नाम

1. गणितीय पाई

पाई का आविष्कार भारत में ही हुआ था। पाई का आविष्कार एक बहुत ही जरुरी आविष्कार था जिसके बिना पहिये की गोलाई कभी सही नही बन पाती, इसके अलावा पाई का इस्तेमाल अन्तरिक्ष मिशनों में भी किया जाता है जिसके बिना अन्तरिक्ष में राकेट भेजना और यात्री विमान उड़ा पाना असंभव था। यह एक ऐसा मान था जिसमे यह जानकारी दी गई कि अगर किसी पहियें की परिधि (गोलाई) 22 यूनिट है तो उसकी त्रिज्या 7 यूनिट ही होनी चाहिए तभी जाकर पहियाँ पूरा गोल बनेगा। 22 और 7 के इस अनुपात को दर्शाने के लिए ही (𝛑) पाई सिंबल का इस्तेमाल होता है।  भारत के वैज्ञानिक आर्यभट ने इस मान की खोज की थी।

2. योग साधना भारत की देन

भारत की यह खोज मनुष्य जगत के लिए किसी भी वरदान से कम नही है क्योंकि एक साधना भर से ही कोई भी निरोगी शरीर और शांत मन को प्राप्त कर सकता है। योग एक ऐसी साधना है जिसके माध्यम से बड़े-बड़े महापुरुषों ने अपने शरीर को निरोगी कर लिया। योग शब्द एक संस्कृत शब्द है। इस साधना के जरिये मनुष्य अपने शरीर, आत्मा और मन के एक साथ उपयोग से बेहतरीन आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकता है। भारतीय गौरवशाली संस्कृति के प्रतीक योग को विश्व जगत में भी दर्जा मिल गया है जिसके फलस्वरूप हर वर्ष 21 जून को अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग एक ऐसा नियम है जिसको जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग किया जा सकता है इसी कारण यह इतना सटीक बैठता है। गीता में श्री कृष्ण जी के अनुसार “कर्मों में कुशलता ही योग कहलाती है”। योग के द्वारा मनुष्य आत्मविश्वासी और अनुशासित बन पाता है। भारत के योग गुरु आज विश्व भर में लोगों को योग ट्रेनिंग का अभ्यास करा रहे है जिससे एक सम्पूर्ण विश्व में योग बेहतर स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बंटा जा रहा है।

3. मसाले का अविष्कारक भारत

मसाले भारतीय व्यंजनों की खासियत कहलाये जाते है। भारत को प्राचीन काल से ही मसाले बनाने की कला में महारत हासिल है। पूरी दुनिया में आज भी कई देशों में भारत द्वारा ही मसाले निर्यात किये जाते है। दुनिया के 70 % मसालों का आविष्कार भारत में ही हुआ है। हींग, तेज पत्ता , काली मिर्च, इलायची, हल्दी, अजवायन, जीरा, मेथी जैसे तमाम और मसाले भारतीय व्यंजनों को विभिन्न प्रकार का स्वाद प्रदान करते है। स्वाद के अलावा इनके चटक रंग और खुशबू भी आकर्षित करती है। एम।डी।एच। , एवेरेस्ट, कैच जैसी भारतीय कम्पनियां मसाला मार्किट की किंग है। भारत का यह आविष्कार दुनिया के स्वाद का जायका बढ़ाते है और व्यंजनों में वैरायटी प्रदान करते है इसलिए इस आविष्कार को भी नज़रअंदाज नही किया जा सकता।

4. शैम्पू या चम्पी है भारतीय

शैम्पू का आविष्कार भारत में ही हुआ था। भारत में आज भी बालों की हेल्थ को संवारने के लिए पारंपरिक जड़ी बूटियों से बने तेल और आंवला, नीम, ब्राह्मी, शिकाकाई, एलोवेरा, बादाम तेल, नारियल जैसे प्राकृतिक वनस्पतियों का इस्तेमाल होता है। प्राचीन काल से ही भारत में चम्पी करना एक नियमित क्रियाकलाप था। चम्पी शब्द से ही आगे चल कर शैम्पू शब्द बना। शैम्पू का इतिहास इतना रोचक है कि जब गुलाम भारत में अंग्रेज अमीरों को भारतियों द्वारा चम्पी की सेवा मिली तो अंग्रेज यह कला ब्रिटेन ले गए जहाँ लोगों को बाल धोने का यह नया तरीका खूब पसंद आया। बाद में रासायनिक तत्व और जड़ी बूटियों के द्वारा कमर्शियल शैम्पू भी बनने लगे और बिकने लगे। बालों को सुन्दर चमकीला और मजबूत बनाने के लिए आज विश्व भर में शैम्पू का खूब इस्तेमाल होता है। 

5. लोहे का आविष्कार

भारतीय प्राचीन ऋग्वैदिक काल से ही भारत में लोहे के इस्तेमाल की बात की जाती है इसके अलावा 2500 बर्ष पहले भी भारत में लोहे का इस्तेमाल के सबूत कृषि क्षेत्रों में देखने को मिले। लोहा एक बहुत ही मजबूत धातु है जो उधोगों का मूलभूत आधार है। लोहा विश्व भर में निर्माण कार्यों और आधोगिक उपकरणों से लेकर विभिन्न प्रकार की चीजे बनाने में इस्तेमाल हो रहा है। इस खोज ने मानव को आधुनिकता के नए युग में पहुचाया जिसमे बहुत सा निर्माण कार्य किया गया। बड़े बड़े निर्माण कार्यों से ही आज कई इमारतें विश्व के कई हिस्सों की पहचान बन गए है। लोहा ना होता तो यह सब निर्माण कार्य संभव नही हो पाता।

6. USB का आविष्कार

यूनिवर्सल सीरियल बस (यूएसबी) जो कि दुनियाभर में इलेक्ट्रोनिक्स आइटम में इस्तेमाल किया जाता है इसका आविष्कार भी एक भारतीय अजय भट द्वारा हुआ था। भारत को अपने इस गौरवशाली तकनीक पर गर्व है क्योंकि यूनिवर्सल सीरियल बस (यूएसबी) दुनियाभर में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को एक दुसरे से कनेक्ट करने के लिए काम आता है। इससे पहले इन डिवाइस को आपस में कनेक्ट करने के लिए अलग अलग कनेक्टर का इस्तेमाल होता था जीमे काफी असुविधा होती थी।

7. चाँद पर पानी की खोज

भारत द्वारा चाँद पर भेजे गए अन्तरिक्ष मिशन चंद्रयान 1 के माध्यम से चन्द्रमा पर सबसे पहले पानी को खोजा गया। पानी का पता लगाने के लिए इसरो ने चाँद के दक्षिणी ध्रुव को चुना जहाँ पर सूर्य की रौशनी कभी नही आती। इसरो के चंद्रयान में एक मून इम्पेक्ट प्रोब को लगाया गया था जिसको सीधे चाँद के दक्षिण ध्रुव से टकराया गया। चाँद की सतह से टकराने के बाद उस पर मौजूद कण और मॉलिक्यूल हवा में ऊपर उछले और नासा के मैपर M3 डिवाइस ने इन कणों का आकलन करके यह पता लगाया की इन कणों में पानी की मात्रा है। इसरो से पहले और भी कई देशों ने अपने अभियान चंद्रमा पर भेजे लेकिन कोई भी पानी की जानकारी नही पा सका। भारत के चंद्रयान 1 मिशन ने पानी की खोज करने के लिए अपनी मुख्य भूमिका निभाई।

8. चेस की खोज

विश्व में मशहूर चेस खेल का आविष्कार भारत में ही हुआ।  लगभग 13वीं शताब्दी के समय से भारत में चेस खेलने के सबूत मिलते है उस समय इस खेल को चतरंग कहा जाता था। भारत से ही यह खेल मध्य एशिया के देश पर्शिया और अरब तक पहुंचा। सत्ता और सम्राज्य के पतन से जुड़ा यह सभी युद्ध लड़ने वाले और संप्रभुता को ऊँचा रखने वाले लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया। महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी ऐसे खेलों के लिखित परिणाम मिले है। भारत द्वारा खोजा गया यह खेल आज भी बहुत से देशों में खेला जाता है।

9. शून्य की खोज

भारत ने शून्य के रूप में विश्व को सबसे बड़ी खोज दी। शून्य जटिल गणितीय सूत्रों को हल करने और संख्याओं की गणना करने के लिए उपयोग किया जाता है। शून्य के न होने पर संख्याओं की गिनती करना मुश्किल था यानी प्रतीकों के माध्यम से शून्य के स्थान पर किसी और चित्र या शब्द का प्रयोग किया जाता था। भारत में 100 ईसा के समय से ही शून्य के प्रयोग की जानकारी ऐतिहासिक साहित्यों में मिलती है। शून्य की खोज से स्पेस टेक्नोलॉजी में बहुत लाभ मिला।


10. प्लास्टिक सर्जरी

प्लास्टिक सर्जरी के आविष्कार से चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। बहुत से वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक का आविष्कार पश्चिमी देशों में हुआ था जो कि आधुनिक विज्ञान की देन थी लेकिन भारत में प्राचीन समय में ही इसकी खोज हो गयी थी। महर्षि सुश्रुत ने 3 हज़ार साल पहले इस चिकित्सा प्रणाली की खोज की थी। महर्षि सुश्रुत अपने समय के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक है, सुश्रुत जी को कृत्रिम अंग ट्रांसप्लांट, पथरी और प्लास्टिक सर्जरी जैसी चिकित्सा प्रणाली में महारथ हासिल थी। इस प्रकार हम कह सकते है कि प्लास्टिक सर्जरी का आविष्कार भारत में हुआ था।

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