भारत ने म्यांमार हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की है। यूएन में भारत के स्थाई सदस्य के रूप में टी.एस तिरुमुर्ती ने म्यांमार की हिंसा को निराशाजनक बताया। इसके अलावा इन्होने म्यांमार में होने वाले जान माल के नुक्सान पर भी शोक जताया। भारत ने मानवाधिकारों को को बनाये रखने के लिए म्यांमार की सेना से संयम बरतने की अपील की है और सभी हिरासत में लिए गए नेताओं को छोड़ने की अपील भी की है। टी.एस तिरुमुर्ती जी ने इस मुद्दें पर आसियान के सदस्य देशों के द्वारा किये गए प्रयासों का भी स्वागत किया है। भारत ने लोकतंत्र को बनाये रखने के लिए लोकतांत्रिक सत्ता हस्तांतरण को जरुरी बताया।
म्यांमार में तख्तापलट होने के बाद से ही स्थानीय लोगों ने सेना की तानाशाही का विरोध किया है। यह विरोध फरवरी के महीने से आरम्भ हुआ जब सेना ने लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार को अपने कब्जे में ले लिया और कई नेताओं को एक साथ जेल में भेज दिया था। इस हिंसा में अब तक इसमें 500 से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है। सेना और पुलिस की और से शर्मनाक, कायरतापूर्ण, क्रूर हरकतें की जा रही है जिनमे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई जा रही है। इस कार्यवाही में कई छोटे बच्चों की भी जान गई है।
विश्व का मीडिया लगातार म्यांमार पर अपनी नज़रें बनाये हुए है। रोजाना इन्टरनेट पर म्यांमार की सेना द्वारा की गई कार्यवाहीयों की विचलित करने वाली तस्वीरें मानवाधिकारों को लेकर नए सवाल खड़े कर रही है। यूनाइटेड नेशन की सुरक्षा परिषद् के सदस्यों ने भी म्यांमार की सेना द्वारा की गई बर्बरता पर चिंता जाहीर की है। निंदा करने वालों में मुख्य रूप से संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और क्रिस्टीन श्रानर बर्गनर भी शामिल है।