अहमदाबाद : मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिये गुजरात में नडियाद के पास भारतीय रेलवे की वडोदरा-अहमदाबाद मुख्य लाइन पर 100 मीटर लंबाई का पहला स्टील ब्रिज लॉन्च किया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि जापानी विशेषज्ञता के साथ भारत मेक-इन-इंडिया विजन के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिये अपनी स्वदेशी तकनीकी और भौतिक क्षमताओं का तेजी से उपयोग कर रहा है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए यह स्टील ब्रिज ऐसे ही उदाहरणों में से एक है। 1486 टन के इस स्टील ब्रिज का निर्माण गुजरात के भुज जिले में स्थित कार्यशाला में किया गया जो ब्रिज लॉन्चिंग साइट से लगभग 310 कि.मी. दूर है। लॉन्चिंग के लिये ब्रिज को ट्रेलरों द्वारा साइट पर ले जाया गया।
साइट पर स्टील ब्रिज को अस्थायी ट्रेस्टल्स पर जमीन से 15.5 मीटर की ऊंचाई पर असेंबल किया गया। इसके बाद 63 मीटर लंबाई और लगभग 430 टन वजन की लॉन्चिंग नोज को मुख्य पुल असेंबली के साथ जोड़ा गया। स्टील ब्रिज को हाई टेंशन स्ट्रैंड्स का उपयोग करके 180 टन की क्षमता वाले दो जैक के स्वचालित तंत्र के साथ खींचा गया। ब्रिज को सावधानीपूर्वक योजना और सटीकता के साथ भारतीय रेलवे लाइनों के पूर्ण यातायात और पावर ब्लॉक के चलते लांच किया गया।
टेक्निकल पॉइंट्स: मेंन ब्रिज की लंबाई 100 मीटर, मेंन ब्रिज का वजन 1486 टन, लॉन्चिंग नोज की लंबाई 63 मीटर, लॉन्चिंग नोज का वजन 430 टन, स्टील के प्रत्येक उत्पादन बैच का मैन्युफैक्चरिंग परिसर में अल्ट्रासोनिक परीक्षण द्वारा परीक्षण किया गया। स्टील ब्रिज का निर्माण जापानी इंजीनियर द्वारा तैयार डिजाइन ड्रॉइंग्स के अनुसार कटिंग, ड्रिलिंग, वेल्डिंग और पेंटिंग के उच्च तकनीक और सटीक संचालन द्वारा किया जाता है। कॉन्ट्रैक्टर को अंतरराष्ट्रीय वेल्डिंग विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित वेल्डर और पर्यवेक्षकों को नियुक्त करना अनिवार्य है। प्रत्येक कार्यशाला में, वेल्डिंग प्रक्रिया की मॉनिटरिंग, जापानी अंतरराष्ट्रीय वेल्डिंग विशेषज्ञों द्वारा भी की जाती है। निर्मित स्टील स्ट्रक्चर चेक असेंबली प्रक्रिया से
गुजरने के बाद पांच-परत तकनीक का उपयोग करके पेन्ट किया जाता है।
स्टील गर्डर्स के लिये अपनायी गयी पेंटिंग तकनीक भारत में अपनी तरह की पहली तकनीक है। यह जापान रोड एसोसिएशन के ‘स्टील रोड ब्रिज के संक्षारण संरक्षण के लिए हैंडबुक’ की सी-5 पेंटिंग प्रणाली के अनुरूप है। स्टील अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने का काम टोर शीयर टाइप हाई स्ट्रेंथ बोल्ट्स (टीटीएचएसबी) का उपयोग करके किया जाता है, जिसका उपयोग भारत में किसी भी रेलवे परियोजना के लिये पहली बार किया जा रहा है। यह स्टील ब्रिज, बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए तैयार किये गये 28 स्टील पुलों में से दूसरा है। पहला स्टील ब्रिज गुजरात के सूरत में राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर लॉन्च किया गया था।
इन स्टील ब्रिज को बनाने में लगभग 70,000 टन निर्दिष्ट स्टील का उपयोग किया जाता है। स्पैन की लंबाई 60 मीटर ‘सिंपली सपोर्टेड’ से लेकर 130 प्लस 100 मीटर ‘कंटीन्यूअस स्पैन’ तक होती है। 40 से 45 मीटर तक वाले प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट ब्रिज के विपरीत, स्टील ब्रिज राजमार्गों, एक्सप्रेस-वे और रेलवे लाइनों को पार करने के लिये सबसे उपयुक्त होते हैं, जो नदी पुलों सहित अधिकांश वर्गों के लिये उपयुक्त होते हैं। भारत के पास 100 से 160 कि.मी. प्रति घंटे के बीच चलने वाली भारी ढुलाई और अर्ध उच्च गति वाली ट्रेनों के लिए स्टील ब्रिज बनाने की विशेषज्ञता है। अब, स्टील गर्डर्स के निर्माण में समान विशेषज्ञता एमएएचएसआर कॉरिडोर पर भी लागू की जायेगी, जिसमें 320 कि.मी. प्रति घंटे की परिचालन गति होगी।