उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने गंगोत्री धाम में भगीरथी नदी का जल स्तर बढने से स्नान-घाटों के ऊपर नदी का पानी बहने के कारण संभावित खतरों को देखते हुए अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड को तुरंत मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने और सुरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
इस संबंध में एक आदेश जारी करते हुए डा. बिष्ट ने कहा है कि गंगोत्री में घाटों पर तात्कालिक सुरक्षा के उपाय करने के साथ ही इसके लिए मौके पर पर्याप्त संसाधनो की तैनाती कर वस्तुस्थिति के संबंध में नियमित रूप से सूचना उपलब्ध कराई जाय। जिलाधिकारी ने भागीरथी नदी के बहाव एवं आवश्यक सुरक्षा कार्यों के संबंध में भी दो दिनों के भीतर आख्या उपलब्ध कराने को कहा है।
जिलाधिकारी ने पुलिस अधीक्षक को गंगोत्री में घाटों के पास पर्याप्त संख्या में पुलिस व एसडीआरएफ कार्मिकों की तैनाती करते हुए चौबीसों घंटे निरंतर निगरानी रखे जाने को कहा है। उन्होंने गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक को भी गोमुख क्षेत्र में ग्लेशियर एवं नदी की नियमित निगरानी करवाते हुए जल स्तर के संबंध में हर दो घंटे में आपातकालीन परिचालन केन्द्र को सूचना भेजे जाने के निर्देश दिए हैं।
आपाकालीन परिचान केन्द्र से भी सीसीटीवी नेटवर्क के जरिए गंगोत्री धाम की स्थिति पर निरंतर नजर रख मौके पर तैनात कार्मिकों को जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं। प्रशासन के द्वारा राजस्व कर्मियों को भी गंगोत्री में तैनात किया गया है।
उधर यमुनोत्री क्षेत्र में रविवार को स्थिति सामान्य रही। जानकीचट्टी में शुभम होटल के पास अवरूद्ध सड़क मार्ग को खोल कर वहां फंसे यात्रा वाहनों को उनके गंतव्य के लिए रवाना करा दिया गया है। वहां पर करीब 40 मीटर सड़क नदी के कटाव से बह गई थी और इससे आगे विभिन्न पार्किंग स्थलों पर लगभग एक सौ छोटे-बड़े वाहन वापस नहीं पा रहे थे। इस हिस्से में कुछ निर्माण कार्यों को ध्वस्त कर लोनिवि ने अस्थाई सड़क बनाने का काम दोपहर तक पूरा कर लिया था।
जानकीचट्टी में पार्किंग से मलवा-पत्थर हटाने का काम जारी है और पानी के बहाव को मूल धारा की तरफ चैनलाईज करने के लिए मौके पर भारी मशीनों को भेजा गया है।
यूपीसीएल द्वारा युद्ध स्तर पर कार्य कर क्षतिग्रस्त विद्युत लाइन की मरम्मत कर यमुनोत्री धाम सहित यमुनोत्री पैदल मार्ग, जानकीचट्टी, खरसाली क्षेत्र में गत देर शाम को विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी गई थी। क्षेत्र में क्षतिग्रस्त पेयजल लाईनों की मरम्मत के लिए जल संस्थान की टीम जुटी हुई है और अनेक जगहों पर जलापूर्ति बहाल कर दी गई है।
उप जिलाधिकारी बड़कोट मुकेश चंद रमोला सहित राजस्व, लोनिवि, सिंचाई, जल संस्थान, जिला पंचायत, स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा आदि विभागों के अधिकारी क्षेत्र में मौजूद रहकर आवश्यक सेवाओं की बहाली के अभियान में जुटे हैं।
गंगोत्री धाम में भागीरथी नदी में अत्यधिक पानी और सिल्ट आने के कारण नदी का तल पर काफी सिल्ट व पत्थर जमा हो गया है तथा जल स्तर बढने से आज सुबह भी घाट जलमग्न हो गए थे। यहां पर एक आश्रम परिसर में भी नदी का पानी घुस गया था।
सुरक्षा के दृष्टिगत वहां पर तैनात पुलिस एवं एसडीआरएफ के जवानों ने घाटों से यात्रियों व कांविड़यों को हटाने के साथ ही आश्रम में फंसे लोगों को भी सुरक्षित निकाला। सुरक्षा एहतियात बरतते हुए जल स्तर बढने की स्थिति में लोगों को घाटों से दूर रखने तथा आवश्यकतानुसार सुरक्षित स्थानों रोके रखने के लिए पुलिस, एसडीआरएफ, होमगार्ड एवं पीआरडी के जवानों को निर्देश जारी किए गए हैं और उन्हें निरंतर सतर्क रहकर ड्यूटी करने को कहा गया है। नदी के प्रवाह पर निंतर निगरानी रखी जा रही है।
उधर अयारखाल के पास अवरूद्ध उत्तरकाशी-लंबगावः तिलवाड़ा सड़क को हल्के वाहनों के लिए खोला जा चुका है।
माँ गंगा के मायके गंगोत्री में बीते दो दीनो से गंगा भागीरथी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। जिस से भगीरथ शीला, लक्ष्मी मंदिर, गणेश मंदिर सहित आश्रम और स्नान घाट जलमग्न हो गए। घाटों पर बनी कच्ची दुकानों में भी पानी घुस गया जिस से दुकानों में रखा सामान भी नदी में समा गया। वहीं शनिवार देर शाम नदी के पास बनी शारदा कुटरी भी बह गई।
इन दिनों कावड़ चल रही है जिसके चलते कावड़िये गंगोत्री में भारी संख्या में जल भरने पहुँच रहे हैं। भीड़ को देखते हुए जिला प्रसाशन और पुलिस श्रद्धालुओं को नदी तट पर जाने से रोक रही है। लगातार माइक से अनाउंसमेंट की जा रही है।
आज गंगा भागीरथी का जलस्तर कम है। तीर्थ पुरोहितों ने इसको सिंचाई विभाग की लापरवाही बताया है।