बेंगलुरु : मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण(मुडा) घोटाले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की याचिका मंगलवार को खारिज होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने श्री सिद्दारमैया की वह याचिका आज खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के उनकी (श्री सिद्दारमैया की) पत्नी को मुडा की 14 साइटों के आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी थी।
इस बीच श्री सिद्दारमैया ने उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा, ‘निर्णय से स्पष्ट संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री और उनका परिवार घोटाले में शामिल हैं। हम पिछले दो महीनों से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि सिद्दारमैया उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करेंगे।”
इस घोटाले को लेकर सियासी तूफान मचा हुआ है। भाजपा ने मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और उनके इस्तीफे की मांग की है। दरअसल, मुद्दा यह है कि मुडा ने कथित तौर पर 14 प्रीमियम साइट्स श्री सिद्दारमैया की पत्नी को अवैध तरीके से आवंटित किए थे।यह मामला इतना बड़ा है कि इसकी जांच के लिए श्री गहलोत ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति दे दी है। भाजपा का कहना है कि इस घोटाले से राज्य को 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और मुख्यमंत्री परिवार को इसका फायदा हुआ है।
श्री विजयेंद्र ने कहा,“ श्री सिद्धारमैया के परिवार को कथित भ्रष्टाचार से लाभ मिल रहा है। ‘हमने भ्रष्ट मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर बेंगलुरु से मैसूर तक पदयात्रा की।’
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने श्री सिद्दारमैया के नेतृत्व पर सवाल उठाया। श्री पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी सिद्दारमैया का पद पर बने रहना उचित है।’
उन्होंने कहा,“ एससी/एसटी समुदाय के लिए निर्धारित 5,000 करोड़ रुपये की जमीन लूटी। श्री सिद्दारमैया के परिवार और दोस्तों को इसका फायदा मिला। क्या राहुल गांधी ‘भ्रष्टाचार की दुकान’ पर कार्रवाई करेंगे?”
इस बीच शिकायतकर्ता टी जे अब्राहम के अधिवक्ता रंगनाथ रेड्डी ने पुष्टि की कि उच्च न्यायालय ने राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने वाली रिट याचिका आज खारिज कर दी ।
उन्होंने कहा,“ शिकायत में दिए गए तथ्यों की जांच की जानी चाहिए। राज्यपाल द्वारा दी गई अनुमति कानूनी है, जिसे उच्च न्यायालय ने भी समर्थन किया है।” उल्लेखनीय है कि श्री सिद्धरामैया इन आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे हैं। उनका कहा है कि उनकी पत्नी को जो जमीन मिली है, वह उनका हक है। उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा के शासनकाल में ही यह जमीन मिली थी।