कोयला जो कि बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अब खबर यह आ रही है कि देश में कोयला संकट गहराता जा रहा है। केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। हाल ही में देश में लगभग 135 पावर प्लांट है जहां पर कोयले का खनन होता है। ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट से यह पता चला है कि भारत में कुल मिलाकर जो 135 कोयला संयंत्रों है उनमे से सिर्फ 72 संयंत्रों के पास 3 दिन से भी कम का कोयला बचा है और इसके अलावा 50 कोयला संयंत्र ऐसे हैं जिनके पास सिर्फ 4 से 10 दिन का ही कोयला स्टाक बचा है।
खपत में हुआ इजाफा
मानसून और गर्मी के कारण इस साल बिजली खपत भी लगातार बढ़ी है, 2019 में अगस्त-सितंबर माह के मुकाबले बिजली की खपत 106.6 बिलियन यूनिट से बढ़कर इस साल अगस्त-सितंबर माह में यह खपत 124.2 मिलियन यूनिट तक बढ़ गई है। 2019 में कोयले का उत्पादन भी 61.91% था जो बढ़कर इस साल 66.35% हो गया है।
कोयले की खपत में इस साल 18% की वृद्धि अगस्त-सितंबर माह में हुई है, कोयले की कमी का एक अन्य कारण यह भी है कि विदेशी आयात घट गया है। इंडोनेशिया से मंगाए जाने वाले कोयले का रेट साल 2021 की शुरुआत में डॉलर 60 प्रति टन था जो कि अब बढ़ कर सितंबर-अक्टूबर में डॉलर 200 प्रति टन हो गया।
इस तरह भारत में कोयले का संकट एक बहुत ही गंभीर समस्या है मानसून के दौरान कोयले से चलने वाली बिजली की खपत बढ़ गई जिससे कोयले संयंत्रों में कोयले की कमी हो गई। 1 अक्टूबर 2021 तक 135 संयंत्रों में से 50 ऐसे हैं जिनके पास 4 से 7 दिन का स्टॉक है और 13 प्लांट ऐसे हैं जिनके पास 10 दिन से ज्यादा का स्टॉक है और बाकी बचे संयंत्रों में कोयला 3 दिन से भी कम का बचा है।