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शिक्षक भर्ती में अदालती आदेश के बाद दलितों से सहानुभूति लेने की होड़

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सरकार को नयी सूची तैयार करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विपक्षी दलों को न सिर्फ योगी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है बल्कि दलित और पिछड़ा वर्ग से आत्मीयता जताने की होड़ मच गयी है।
सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस मामले में न्यायालय के फैसले का स्वागत कर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी अपना दल (एस) ने भी अदालत के आदेश का स्वागत करते हुये इसे सामाजिक न्याय की जीत करार दिया है। उधर, सूत्रों का मानना है कि मुख्यमंत्री शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश के परिपेक्ष्य में जल्द ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक कर सकते हैं।
मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने बयान में कहा है कि अदालत के फैसले से साफ हो गया है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया घपले घोटाले का शिकार हुयी है जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अदालती आदेश के बाद सरकार से आरक्षित वर्ग को न्याय दिलाने की अपील की है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पर पोस्ट कर न्यायालय के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा “ शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।”
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा “ यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।”
उन्होने कहा “ वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।”
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तारुढ़ योगी सरकार पर निशाना साधते हुये कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी माँग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियाँ संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हक़मारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे।
उन्होने कहा कि ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएँ।
केंद्रीय राज्य मंत्री एवं अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कहा “ 69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई। अब जबकि उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा। जो माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है, मैंने भी हमेशा वही कहा है।
उन्होने कहा “ मैंने इस विषय को हमेशा सदन से लेकर सर्वोच्च स्तर पर उठाया है। जब तक इस प्रकरण में वंचित वर्ग को न्याय नहीं मिल जाता मैं इस विषय को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए लगातार हर संभव प्रयास करती रहूंगी।”
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार को पुरानी सूची को दरकिनार कर नई चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षक भर्ती मामले में 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने एक जून 2020 और पांच जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन न किए जाने के मामले में पिछले साल 13 मार्च को दिए गए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अशोक यादव व अन्य अभ्यर्थियों की 90 विशेष अपीलो पर यह फैसला दिया है।

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