हो सकती है तीन महीने की सजा
अमृतसर : पंजाब के पर्यावरण विभाग ने धान की पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अमृतसर के समक्ष पांच अलग-अलग आपराधिक शिकायतें दर्ज की गयी हैं, जिनमें 10 किसान शामिल हैं।
पर्यावरण अभियंता सुखदेव सिंह ने गुरुवार को बताया कि विभाग के अधिकारियों को मिली शिकायतों के आधार पर संतोख सिंह पुत्र हरदित्त सिंह निवासी गांव नाग कलां, कंवलजीत सिंह पुत्र सुरजीत सिंह निवासी सठयाला, परमजीत कौर पत्नी करतार सिंह बलियान मंझपुर निवासी जस्सा सिंह पुत्र खासा निवासी हजारा सिंह रमनदीप सिंह पुत्र जसवन्त सिंह, हरदीप सिंह पुत्र सुखबीर सिंह, रणजीत सिंह पुत्र बंता सिंह, गुरु पुत्री बंता सिंह, बीरो पुत्री बंता सिंह, निंदर कौर पुत्री बंता सिंह सभी निवासी संगतपुरा पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1981 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन महीने की कैद या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
श्री सिंह ने किसानों से अपील की कि पराली जलाने से जहां वे अपनी जमीन और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं उन्हें विभाग की ओर से कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है, इसलिये सभी किसान पराली जलाने की बजाय अपने खेतों में ही पराली को भविष्य की जरूरतों के लिए स्टॉक करें। गांव इब्बन में पराली में आग लगने की सूचना मिलने पर जिला उपायुक्त घनशाम थोरी फायर ब्रिगेड की गाड़ियों और अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने जहां भी आग बुझाई, वहां के खेत मालिक को मौके पर बुलाकर ऐसा करने से रोका और अपील की कि किसान पराली को आग न लगायें।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय, केंद्र सरकार के एयर क्वालिटी कमिश्नर और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस मुद्दे पर काफी सख्त हैं, लेकिन हम अपने किसान भाइयों को बहुत प्यार से समझा रहे हैं, नहीं तो हमें भी सख्ती करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि उनके सहित सभी अतिरिक्त उपायुक्त, एसडीएम, तहसीलदार, कृषि अधिकारी, प्रदूषण विभाग और पराली की आग रोकने के लिये जिले में नियुक्त किये गये 275 नोडल अधिकारी और 55 क्लस्टर अधिकारी इस कार्य में लगे हुये हैं।