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न्यायालय केवल भवन नहीं न्याय का मंदिर है

ग्वालियर : मंगुभाई पटेल ने कहा है कि न्यायालय केवल भवन नहीं होता बल्कि न्याय का मंदिर होता है। मंदिर में आने वाले गरीब, शोषित और जरूरतमंद व्यक्तियों को समय पर न्याय मिले, यह जरूरी है। पटेल ने आज यहां नवनिर्मित जिला एवं सत्र न्यायालय भवन के शुभारंभ अवसर पर यह बात कही। मोहन यादव, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन व इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी व न्यायमूर्ति एस सी शर्मा, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रवि मलिमथ एवं उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति रोहित आर्या कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे।
ग्वालियर को बेहतर वातावरण एवं सुविधाओं के साथ न्यायिक सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 115 करोड़ 41 लाख रूपए की लागत से नवनिर्मित नवीन जिला एवं सत्र न्यायालय भवन के लोकार्पण अवसर पर राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि हमारे देश की न्यायपालिका श्रेष्ठ है और इसे विश्व भर के देश भी मानते हैं। हमारे देश की न्यायपालिका ने सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में भी कई नवाचार किए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में सभी को बेहतर न्याय मिले, इसके लिए कई नवाचार किए गए हैं। बंदीगृहों में बंदियों को बेहतर सुविधायें मिलें, इसके लिये भी कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेल में बंद 12 से 14 साल के बच्चे जिनसे छोटे-छोटे अपराध हो गए हैं और जेल में बंद हैं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये बंदीगृहों में शिक्षा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाना चाहिए। ग्वालियर में निर्मित जिला एवं सत्र न्यायालय का नया भवन जरूरतमंदों को न्याय उपलब्ध कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
यादव ने कहा है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका यह तीनों लोकतंत्र के मजबूत स्तम्भ हैं। ग्वालियर में जिला एवं सत्र न्यायालय का आधुनिक भवन बनकर तैयार हुआ है। इस न्यायालय के माध्यम से लोगों को न्याय मिलेगा, साथ ही आधुनिक भवन में आने वाले लोगों को बेहतर सुविधायें उपलब्ध होंगीं। वकीलों एवं न्यायधीशों को भी अच्छे वातावरण में कार्य करने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए भवन के उद्घाटन अवसर पर बारकाउंसिल के माध्यम से वकीलों की सुविधाओं के लिये जो भी मांग रखी गई है उसे राज्य सरकार पूरा करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्वालियर के लिये आज ऐतिहासिक दिन है। यहाँ पर एक ही दिन में तीन बड़ी सौगातें मिली हैं। नए एयर टर्मिनल, जिला एवं सत्र न्यायालय का आधुनिक भवन और एमआईटीएस कॉलेज के नए भवन के साथ डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा भी आज प्राप्त हुआ है। हम सबके लिये यह गौरव की बात है।

यादव ने कहा कि न्यायालय में आने वाला सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति पक्षकार होता है। उसे समय पर न्याय मिले इसकी चिंता हम सबको करना चाहिए। मध्यप्रदेश में न्यायालयीन भवनों के निर्माण के साथ न्यायालयीन प्रकरणों के निराकरण में भी उल्लेखनीय कार्य हुआ है।
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि देश के अमृतकाल में ग्वालियर विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है। आज के दिन ग्वालियर को तीन बड़ी सौगातें मिली हैं। ग्वालियर में विशाल एयरपोर्ट, नया न्यायालयीन भवन और एमआईटीएस के नए भवन का लोकार्पण भी हुआ है। साथ ही एमआईटीएस कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा भी प्राप्त हो गया है।
सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर को आज न्याय की क्षमता, शासन की क्षमता और बौद्धिक क्षमता के क्षेत्र में तीन बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर में न्याय का 150 साल पुराना इतिहास है। माधवराव सिंधिया द्वितीय के द्वारा दरबार पॉलिसी लागू की गई थी, जिसके 12 वॉल्यूम थे और सभी क्षेत्रों में न्याय मिले, इसकी व्यवस्था सिंधिया रियासत में लागू की गई थी। सन् 1938 में ग्वालियर हाईकोर्ट भवन का लोकार्पण भी सिंधिया परिवार के महादजी सिंधिया द्वारा किया गया था। केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने कहा कि महिलायें आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। न्याय दिलाने के क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री जे के माहेश्वरी ने कहा कि ग्वालियर में जिला एवं सत्र न्यायालय का आधुनिक भवन आज लोकार्पित हुआ है। इसकी शुरूआत 16 साल पहले हुई थी। लेकिन कई कारणों से निर्माण में विलंब हुआ है। आज प्रसन्नता की बात है कि नया आधुनिक भवन बनकर लोकार्पित हुआ है। उन्होंने कहा कि न्याय के लिये केवल भवन ही नहीं बल्कि न्याय दर्शन पर भी कार्य किया जाना चाहिए। पक्षकार को न्यायालय में समय पर न्याय मिले, इसके लिये विधि अनुसार हम सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। इससे आम लोगों का न्यायालय के प्रति जो भरोसा है वह मजबूत हो सके।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री एस सी शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के निराकरण में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। इसके साथ ही न्यायालयों के भवनों के निर्माण का कार्य भी मध्यप्रदेश में तेजी से हुआ है। अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए, इससे लोगों को समय पर न्याय मिल सके। इसके साथ ही न्यायालयीन दस्तावेजों का कम्प्यूटराईजेशन भी होना चाहिए।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में न्यायालयीन प्रकरणों के निराकरण में तेजी आई है। इसके साथ ही न्यायालयीन भवनों का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। ग्वालियर का नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यहाँ पर पक्षकार को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी और उसे तत्परता से न्याय भी प्राप्त हो सकेगा। मध्यप्रदेश में वर्ष 2023 में सबसे ज्यादा न्यायालयीन प्रकरणों का निराकरण किया गया है। विजन 2047 के अंतर्गत हम सब कार्य कर रहे हैं, इससे न्यायालयों में प्रकरण लंबित न हों।
कार्यक्रम के प्रारंभ में उच्च न्यायालय ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति रोहित आर्या ने कहा कि नागरिकों को बेहतर सुविधाओं के साथ न्यायिक सेवायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्वालियर में 115 करोड़ 41 लाख रूपए की लागत से 69 हजार 584 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में नवीन जिला एवं सत्र न्यायालय का निर्माण किया गया है। भूतल सहित पाँच मंजिला इस भवन में वास्तु, सांस्कृतिक एवं स्थापत्य शैलियों को संजोया गया है। उन्होंने नए भवन के निर्माण में सहयोग करने वाले सभी के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश बारकाउंसिल के चेयरमेन प्रेमसिंह भदौरिया और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसीडेंट पवन पाठक ने भी अपने विचार रखे। मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला, क्षेत्रीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, विधायक मोहन सिंह राठौर, पूर्व मंत्री माया सिंह, ध्यानेन्द्र सिंह जन-प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में न्यायाधीशगण और अधिवक्तागण भी समारोह में शामिल हुए।
राज्यपाल श्री पटेल, मुख्यमंत्री डॉ यादव एवं केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया सहित उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एवं मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायाधीश ने संयुक्त रूप से नए भवन का फीता काटकर शुभारंभ किया और नए भवन का अवलोकन भी किया।

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