जयपुर : राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मौसमी बीमारियों से बचाव एवं प्रभावी रोकथाम के लिए पूर्व तैयारियां शुरू कर दी हैं और मच्छर जनित बीमारियों से बचाव एवं रोकथाम के लिए प्रदेश में एक अप्रैल से क्रेश प्रोग्राम चलाया जाएगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बुधवार को स्वास्थ्य भवन में मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए आयोजित अन्तर्विभागीय बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए।
साथ ही बीमारियों की प्रभावी रोकथाम के लिए संबंधित विभागों में नोडल अधिकारी बनाए जाएंगे एवं स्वास्थ्य निदेशालय में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बार डेंगू , मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों का प्रसार ज्यादा होने की आशंका व्यक्त की है। इसके मद्देनजर प्रदेश में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए सभी तैयारियां पुख्ता रूप से की जाएं।
श्रीमती सिंह ने निर्देश दिए कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए सभी संबंधित विभाग पूर्ण समन्वय से साथ काम करते हुए अपने-अपने विभाग से संबंधित गतिविधियों को प्रभावी ढंग से अंजाम दें। सभी विभाग चेकलिस्ट बनाकर साप्ताहिक समीक्षा करें तथा डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस, चिकनगुनिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करें। जिन क्षेत्रों में केस ज्यादा सामने आएं, वहां विशेष फोकस करते हुए सर्विलेंस, एंटीलार्वा, सोर्स रिडक्शन, स्प्रे आदि गतिविधियां की जाएं। पॉजिटिव केसों की दैनिक रिपोर्टिंग आवश्यक रूप से केन्द्र सरकार के आईएचआईपी पोर्टल पर किया जाना सुनिश्चित करें ताकि बीमारी के प्रसार को रोकने में आसानी रहे।
उन्होंने कहा कि पानी जमाव की स्थिति रोकने के लिए आवश्यकतानुसार एरियल सर्वे भी कराया जा सकता है। समझाइश के बाद भी अगर पानी जमाव की स्थिति सामने आए तो स्थानीय निकाय विभाग चालान की कार्यवाही करेगा। उन्होंने मानव संसाधन के क्षमता संवर्द्धन, अस्पतालों में जांच, दवा एवं उपचार के पर्याप्त इंतजाम सुनिश्चित करने, रेपिड रेस्पांस टीम का गठन करने, केसेज की समय पर लाइन लिस्ट तैयार करने, ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तैयार करने, हाईरिस्क मरीजों को चिह्नित करने सहित सभी आवश्यक तैयारियां समय रहते करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आमजन को मौसमी बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियां लगातार की जाएं। ग्राम सभाओं के माध्यम से भी आमजन को जागरूक किया जाए।