नई दिल्ली : जगदीप धनखड़ ने महिलाओं को उनके धर्म के बावजूद समानता और समान सहायता के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि सर्वाधिक वंचित लड़कियों को सहायता प्रदान करके आशा और अवसर पैदा किए जा सकते हैं, जिससे उनके जीवन पर महत्वपूर्ण और सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
श्री धनखड़ ने बृहस्पतिवार को उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में फिक्की महिला संगठन की चेन्नई शाखा की सदस्यों के साथ बातचीत में कहा कि वित्तीय और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रही मेधावी लड़कियों की मदद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोग से एक लड़की को शिक्षा और सुरक्षा में अद्वितीय संतुष्टि और खुशी मिल सकती है।
बालिकाओं के सशक्तीकरण से जुड़े सामाजिक प्रभाव का उल्लेख करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “जब एक महिला परिवार के खर्चे, परिवार की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करती है, तो परिवार का विकास सुनिश्चित होता है। पिछले दस वर्षों में यह बड़े पैमाने पर किया गया है।”
श्री धनखड़ ने लड़कियों को सशक्त बनाने की दिशा में सामाजिक कंपनी उत्तरदायित्व – सीएसआर प्रयासों को तेज करने को कहा। उन्होंने कहा कि सबसे वंचित लड़कियों को सहायता प्रदान करके, आशा और अवसर पैदा किए जा सकते हैं, जिससे उनके जीवन पर महत्वपूर्ण और सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उप राष्ट्रपति ने महिलाओं को उनके धर्म के बावजूद समानता और समान सहायता के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा, “ लड़कियों की एक श्रेणी के लिए अभी भी बहुत मुश्किलें हैं। कल ही आपने उच्चतम न्यायालय का एक बड़ा फैसला सुना होगा। इस पर सार्वजनिक मंच पर बहस हो रही है। सहायता सभी के लिए समानता और एक समान होनी चाहिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह एक बड़ा कदम है।”
उप राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने हर घर में शौचालय, किफायती आवास, हर नल में जल और हर घर में नल, मुद्रा योजना आरंभ की है।
संसद में महिला सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि जब राज्यसभा ने महिला आरक्षण विधेयक पारित किया, तो उनके और उपसभापति के अलावा सभी पीठासीन अधिकारी महिलायें थीं। उन्होंने राज्यसभा में लैंगिक प्रतिनिधित्व में उल्लेख करते हुए कहा कि एक समय पुरुषों के वर्चस्व वाली इस तालिका में अब 50 प्रतिशत अधिक महिलाएँ हैं। उन्होंने कहा, “भारत महिला सशक्तिकरण को परिभाषित कर रहा है। भारत महिला नेतृत्व वाले सशक्तिकरण को परिभाषित कर रहा है।”
धर्म के बावजूद महिला अधिकारों की समानता पर न्यायालय की फैसले की सराहना की धनखड़ ने
