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ओमिक्रोन की समीक्षा के लिए चुनाव आयोग लखनऊ रवाना

Election Commission leaves for Lucknow to review Omicron


उत्तरप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे है वहीं दूसरी और देश में ओमिक्रोन वायरस के संक्रमण की संख्या में लागातार इजाफा हो रहा है. वर्तमान स्तिथि को देखते हुए यह कयास कगाये जा रहे है कि क्या चुनाव की तारीखे आगे बढ़ाई जा सकती है या चुनावी रैलियों को रोका जा सकता है. इस तरह के सवाल उठने के बाद चुनाव आयोग अब सक्रिय हो गया है और यूपी चुनाव के लिए अपनी तैयारिया करने में लगा हुआ है. चुनाव आयोग की तरफ से एक प्रतिनिधि मंडल चुनाव आयुक्त सुशील चन्द्र की अगुआई में यूपी चुनावों की समीक्षा के लिए आज लखनऊ के लिए रवाना हो रहा है. यह प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के सभी राजनितिक दलों से 28 दिसंबर को एक मीटिंग में मुलाक़ात करेंगे और चुनावों को सुरक्षात्मक बनाए जाने या उसे आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा करेंगे. चुनाव आयोग के अधिकारी चुनाव आयोजन में लगे पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों से भी 29 एवं 30 दिसंबर को मुलाक़ात करेंगे. 

ओमिक्रोन के दौर में हो रही चुनावी रैलिया है खतरा

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है सभी राजनितिक पार्टिया चुनावी रणनीति के तहत अपने प्रचार प्रसार में व्यस्त हो चुकी है फिर चाहे वह भाजपा, काग्रेस, सपा हो या कोई अन्य पार्टी. सभी राजनितिक पार्टियों के बड़े नेता उत्तरप्रदेश में चुनावी रैलियों का आयोजन कर रहे है जिसमे लोगों की भीड़ भारी मात्रा में इकठ्ठा होती है. हाल ही में बंगाल चुनाव के दौरान भी संक्रमण के समय में चुनाव प्रचार अपने चरम पर था जिसके बाद बंगाल में कोरोना से कई लोग संक्रमित भी हुए और उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी. ऐसे में जब देश में कोरोना का नया वैरिएंट अमिक्रोन पाँव पसार रहा है तो यह सवाल उठाना लाजमी है कि संक्रमण के इस दौर में चुनाव प्रचार में जमा होने वाली भीड़ किस तरह वायरस से खुद को बचा सकती है.

वायरस की रोकथाम और चुनावों को शुरक्षित बनाने के लिए चुनाव आयोग यूपी चुनाव में हालत पर नजर रखेगा. चुनाव आयोग के अधिकारी यह तय कर सकते है कि कोविड अनुरूप अनुशासन का कड़ाई से पालान किया जाए साथ ही चुनावी रैलियों में सुरक्षात्मक 2 गज की दूरी अपनाए जाने का भी आदेश दिया जा सकता है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव और ओमिक्रोन वायरस के संक्रमण में से कौन किस पर भारी पड़ता है और चुनाव आयोग यूपी चुनावों को सुरक्षात्मक बनाने में किस हद तक कामयाब हो पाएगा.

 

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