नई दिल्ली : रक्त शुद्धता और सुरक्षा के लिए रक्त जांच प्रक्रिया न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एनएटी) पर जोर देते हुए चिकित्सा विशेषज्ञाें ने कहा है कि इससे सार्वजनिक स्तर पर स्वास्थ्य सुरक्षा का परिवेश बनाने में मदद मिलेगी और संबंधित बीमारियों का समय पर उपचार हो सकेगा।
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के निजी संस्थान रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया में भारत एवं पड़ोसी देशों बंगलादेश, श्रीलंका, नेपाल और भूटान के लिए चिकित्सा, वैज्ञानिक और नियामक मामलों के प्रमुख डॉ. संदीप सेवलीकर ने कहा कि एनएटी से रक्त जांच की प्रक्रिया में शुद्धता की गुंजाइश बढ़ जाती है और संबंधित मरीज की पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है। इससे उस व्यक्ति का उपचार करना सरल होता है और भविष्य में होने वाले व्यय में कमी आती है। संगोष्ठी में रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया ने यहां एनएटी की प्रक्रिया जारी की।
संगोष्ठी में मध्यप्रदेश के इंदौर में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) अशोक यादव और थैलेसीमिया पेशेंट्स एडवोकेसी ग्रुप (टीपीएजी) की सदस्य सचिव अनुभा तनेजा तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जाने माने चिकित्सकों ने भाग लिया। चिकित्सकों ने कहा कि एनएटी एक उन्नत तकनीक है जो सटीकता के साथ एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमण का पता लगाने में सक्षम है, जिससे रक्त संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।
आंकडों के अनुसार भारत में हर साल 12 करोड़ इकाई रक्तदान होता, हालाँकि, प्रति 1000 दान पर लगभग 2.5 दान की कमी है। देश में रक्त जांच प्रयोगशालाओं अभी भी जांच के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट और एलिसा जैसी प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं।