बेंगलुरू : सिद्दारमैया ने गुरुवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने गर्भगृह में शूद्रों और महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है। सिद्दारमैया ने यहां अनुसूचित जाति/जनजाति नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि शूद्रों-दलितों और महिलाओं को आरएसएस के गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए लोगों को भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के झांसे में नहीं आना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस केवल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए निचली जाति के समुदायों का इस्तेमाल कर रहे हैं ।
उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर सामाजिक न्याय के खिलाफ होने और आरक्षण नीतियों का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि आरक्षण दान नहीं बल्कि उत्पीड़ित समुदायों का अधिकार है। उन्होंने तर्क दिया कि जब तक समाज में जाति व्यवस्था बनी रहेगी तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा और आरएसएस संविधान में संशोधन करके जाति पदानुक्रम से जुड़े प्राचीन हिंदू पाठ मनुस्मृति को फिर से लागू करना चाहते हैं। उन्होंने उन उदाहरणों का जिक्र किया जहां कथित तौर पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं को आरएसएस के गर्भगृह में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।