नई दिल्ली : संचार उद्योग को महत्वपूर्ण उपकरण आदि उपलब्ध कराने वाली प्रमुख कंपनी एरिक्सन ने आज अपने चेन्नई अनुसंधान एवं विकास केंद्र में भारत की 6जी अनुसंधान टीम के गठन के साथ अपने ‘भारत 6जी’ कार्यक्रम के लॉन्च की घोषणा की। एरिक्सन के भारत में तीन अनुसंधान एवं विकास केंद्र चेन्नई, बेंगलुरु और गुड़गांव में हैं। इस ‘भारत 6जी’ टीम में रेडियो, नेटवर्क, एआई और क्लाउड में अनुभवी शोधकर्ता शामिल हैं जिन्हें दूरसंचार के भविष्य के लिए मौलिक समाधान विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। यह टीम स्वीडन और अमेरिका में एरिक्सन अनुसंधान टीमों के साथ मिलकर काम करेगी।
कंपनी के अनुसंधान प्रमुख मैग्नस फ्रोडिघ ने कहा “भारत की आवश्यकता के अनुरूप, देश में अनुसंधान के लिए एक समर्पित 6जी अनुसंधान टीम की स्थापना करके और अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं में विश्व स्तरीय अनुसंधान कार्यक्रमों के साथ सहयोग करते हुए, हम भारत की जरूरतों को दूरसंचार की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए तत्पर हैं।”
एरिक्सन इंडिया के प्रमुख नितिन बंसल ने कहा कि एरिक्सन एक 6जी नेटवर्क प्लेटफ़ॉर्म की कल्पना करता है जो मनुष्यों और मशीनों को जोड़ता है और निर्बाध संपर्क और गहन अनुभवों की अनुमति देने के लिए भौतिक और डिजिटल दुनियाो मिलाने में पूरी तरह से सक्षम है। उन्होंने कहा“ हमारा 6जी पर विचार सर्वव्यापी कनेक्टिविटी, टिकाऊ नेटवर्क आदि के विचारों के अनुरूप हैं और सरकार के भारत 6जी विज़न स्टेटमेंट से किफायती संचार की बात कही गयी है।”
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) केंद्र के साथ 5 साल की साझेदारी की गई है। रिस्पॉन्सिबल एआई (सीईआरएआई) के लिए सितंबर 2023 में हस्ताक्षर किए गए थे। एआई सिस्टम को तैनात करने में तत्काल प्रभाव के साथ जिम्मेदार एआई में मौलिक और व्यावहारिक अनुसंधान किया जाना है। भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में एरिक्सन के लिए एआई रिसर्च का उतना ही महत्व है जितना 6जी नेटवर्क का होगा।