लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधान सभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के बीच तथ्यों की सत्यता को लेकर तीखीनोंक झोंक हुयी। पाठक ने सदन में अखिलेश की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सपा अध्यक्ष ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लचर बताने के जो तथ्य पेश किये उनसे न सिर्फ उन्होंने सदन को गुमराह किया है बल्कि उन्होंने जिस भाषा का प्रयोग किया वह नेता प्रतिपक्ष के पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। गौरतलब है कि अखिलेश ने मंगलवार को विधान सभा में स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे पर अपने वक्तव्य में पाठक की तुलना ‘झोलाछाप डाक्टरों’ से करते हुए उन्हें छापामार मंत्री तक कह दिया था। इसके जवाब में पाठक ने बुधवार को अखिलेश की भाषा शैली को ‘सड़क छाप’ करार दिया।
प्रश्न काल के बाद पाठक ने सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। हालांकि उन्हें बीच में ही टोकते हुए अखिलेश ने कहा कि जब इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मंगलवार को कल पूरा जवाब दे चुके है, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री का वक्तव्य दोहराये जाने का कोई औचित्य नहीं है।
इसके जवाब में पाठक ने कहा कि अखिलेश ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जो मिथ्या आरोप लगाए हैं, उनके बारे में स्थिति स्पष्ट करना जरूरी है। सपा के सदस्य पाठक की बात सुनने को तैयार नहीं थे। इस पर सपा सदस्यों और उपमुख्यमंत्री के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। बाद में सपा के सभी सदस्य सदन से वाकआउट कर गए। इसके बाद पाठक ने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का इतना बुरा हाल था कि अस्पतालों में टार्च की रोशनी में ऑपरेशन होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। योगी सरकार बनने के बाद 14 जिलों को छोड़कर सभी जिलों में मेडिकल कालेजों की स्थापना की जा चुकी है। मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की सीटे बढ़ाई गयी हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अब तक 272 अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण किया है और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का नतीजा है कि प्रदेश के अस्पतालों में प्रतिदिन 1.5 लाख मरीजों का उपचार किया जा रहा है। पाठक के वक्तव्य के बाद सपा के वरिष्ठ सदस्य लाल जी वर्मा ने सदन की समितियों के गठन का मामला उठाते हुए कहा कि सदन में विपक्ष के संख्याबल के आधार पर समितियों में उसके सदस्यों को मौका मिलना चाहिए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने आश्वासन दिया कि सत्रावसान के बाद समितियों के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी। सपा के मनोज कुमार पांडेय और राकेश कुमार सिंह ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सदन में सदस्यों के सवालों का मंत्रियों द्वारा बिन्दुवार जवाब नहीं दिया जाता है। इसके लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये।
सपा के लालजी वर्मा ने सदन में आने वाली याचिकाओं का जवाब न मिलने का भी मामला उठाया। उन्होंने कहा कि आज भी कई याचिकाएं और आश्वासन, समितियों में लंबित हैं। इनमें न तो याचिकायें लगाने वाले लोग बचे हैं, ना ही जवाब देने वाले सदन में है। इस पर विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सारी याचिकाओं का निस्तारण संभव नहीं हो पाता है, इसलिए ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि एक दिन में 05 से ज्यादा याचिकाएं न लगाई जायें।
बसपा के उमाशंकर सिंह ने हाल ही में लखीमपुर खीरी के निघासन में दो दलित लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मामला उठाया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि इस मामलें मे त्वरित कार्रवाई की गयी। आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इसी के साथ इस प्रकरण में सरकार ने आरोपियों को जल्द सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने का निर्णय लिया है।