दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप में यूपी सरकार द्वारा गाजियाबाद की पूर्व डीएम निधि केसरवानी को उनके पद से हटाने के सम्बन्ध में योगी सरकार द्वारा केंद्र सरकार को निलंबन के लिए संस्तुति दे दी गयी है। निधि केसरवानी वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर स्वास्थ्य मंत्रालय में तैनात है। इनके ऊपर एक्सप्रेसवे वे निर्माण के दौरान भरष्टाचार के आरोप है। जानकारी के अनुसार भूमि अधिग्रहण के लिए जो राशी सरकार द्वारा दी गयी वह तय कीमत से ज्यादा थी। किसानों से कम कीमतों में जमीन खरीद कर सरकार से उसी जमीनों के लिए अत्यधिक कीमत वसूल की गयी। साथ ही सभी जमीने डीएम ने अपने करीबियों को दिलवाई। इस मामले में गाजियाबाद के अन्य डीएम विमल शर्मा के शामिल होने की भी भूमिका भी संदिग्ध मानी गई है।
जांच में पता चला कि जमीन नियमों के खिलाफ खरीदी गयी थी। भूमि अधिग्रहण के लिए डीएमई की धारा-3 (डी) हो चुकी थी। इसके बाद भी किसानों को गुमराह करके जमीन को अधिकारीयों करीबी रिश्तेदारों और परिजनों ने खरीदा जबकि धारा की कार्यवाही के बाद सम्बंधित क्षेत्र में जमीन के खरीद फरोख्त पर रोक लग जाती है।
जांच में तत्कालीन एडीएम भूअर्जन और डीएम निधि केसरवानी ने मिलीभगत करके जमीन अधिग्रहण के लिए करोड़ों का मुआवजा लिया। जांच में भूअर्जन के बेटे शिवांगा राठौर के द्वारा नाहल गाँव में 2013 में एक जमीन खरीदने की भी जानकारी सामने आई।इस जमीन को 1235.18 रूपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से अधिग्रहण किया गया था लेकिन शिवांगा राठौर के लिए इसकी कीमत 1582.19 रूपये प्रति वर्ग मीटर तय हुई। इस तरह कई अधिकारियों ने भरष्टाचार के माध्यम से जमीने खरीदी।
