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गुजरात की गौशालायें बनेंगी प्राकृतिक कृषि का केन्द्र

पालनपुर : आचार्य देवव्रत ने गुरुवार को कहा कि राज्य की गौशालायें प्राकृतिक कृषि का केन्द्र बनेंगी। श्री देवव्रत की उपस्थिति में बनासकांठा जिले की डीसा तहसील के शेरपुरा गांव में श्री सोमारपुरीजी गौशाला के रजत जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया। उन्होंने गौशाला की प्रवृत्तियों और गौ सेवकों द्वारा की जा रही गौमाता की माता-पिता समान सेवा की सराहना की और गौशाला को पांच लाख रुपए का दान देने की भी घोषणा की।
उन्होंने इस अवसर पर कहा कि खेती में बढ़ रहे यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों के उपयोग से जमीन और उसकी उर्वरकता घटती जा रही है। जमीन में मौजूद पोषक तत्व घट रहे हैं। धरतीमाता की शक्ति कम हो रही है तो हमें यह कैसे शक्ति देगी। धरती में विद्यमान पोषक तत्व घटने से हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो रही है और कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक और किडनी सम्बन्धी बीमारियां बढ़ रही हैं। युवा और छोटे बच्चे आज हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में कृषि उत्पादन में पोषक तत्व फिर से वापस आएं और नागरिकों को स्वास्थ्यप्रद जीवन मिले यह जरूरी है और इसका एकमात्र असरदार उपाय प्राकृतिक कृषि है।
राज्यपाल ने कहा कि वेदों में गाय को समस्त विश्व की माता कहा गया है। जब से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है तब से गाय अमृतमय दूध प्रदान करती है। वैज्ञानिक अनुसंधानों में साबित हुआ है कि विदेशी जर्सी गाय के दूध से क्रोध आता है और हायपर टेंशन बढ़ता है, जबकि हमारी देसी गाय का दूध बुद्धि और शरीर के लिये सर्वोत्तम है। आगामी समय में गुजरात की गौशालायें प्राकृतिक कृषि का केन्द्र बनेंगी। इसका उल्लेख करते हुये उन्होंने पशुपालकों से गौ आधारित प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील की। राज्यपाल की अपील के कारण शेरपुरा और आसपास के सात गांवों के किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाने का संकल्प लिया।
आचार्य देवव्रत ने वर्तमान समय में प्राकृतिक कृषि के साथ जुड़कर देश को पोषणयुक्त अनाज-फसल मिले, किसानों की आय बढ़े, लोग तन्दुरुस्त बने इसके लिए गौ आधारित प्राकृतिक कृषि की ओर लौटने का किसानों और पशुपालकों से अनुरोध किया।
इस अवसर पर रामरतन जी महाराज, समस्त महाजन के प्रमुख गिरीशभाई शाह, गौशाला के अध्यक्ष दशरथभाई देसाई, उपाध्यक्ष रमेशभाई जोशी, पोपटलाल सुथार, मणिलाल जाट सहित गौशाला के ट्रस्टी, संचालक, गौसेवक, ग्रामीण, किसान एवं पशुपालक भारी तादाद
में उपस्थित रहे।

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