एक बार फिर स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय के बच्चों ने साबित कर दिया की वो राजनैतिक रूप से कितने सक्रिय हैं और उनकी प्राथमिकता क्या है।
हिजाब,बुर्का,भगवा,चोंगा और भी जितने धार्मिक पहनावे है इनको शिक्षा संस्थानों के अलावा भी हर छेत्र में अनिवार्य कर देना चाहिए। क्रिकेट, फुटबॉल, हाकी, स्विमिंग, एथलेटिक्स और भी सभी खेलों में इन पहनावों को अनिवार्य कर देना चाहिए। विश्व कप और ओलम्पिक की सभी खेल प्रतियोगिताओं में भी खिलाड़ियों को सिर्फ़ हिजाब,बुर्का,भगवा,चोंगा पहन कर खेलना चाहिए।
सरकारी कार्यालयों, प्राइवेट दफ़्तरों में भी अनिवार्य कर देना चाहिए। साम्प्रदायिक, धर्मनिरपेक्ष, सामाजिक, धार्मिक, जातीय और सभी तरह के राजनैतिक दलों को इस मुद्दे को ज़ोर शोर से उठाना चाहिए और ज़रूरत पड़े तो संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाना चाहिए।
बिजली, पानी, राशन, शौचालय, सड़क, एक्सप्रेसवे,क़ानून व्यवस्था,अपराध मुक्त प्रदेश, शिक्षा,चिकित्सा, रोज़गार जैसे मामूली और ग़ैर ज़रूरी मुद्दों को चुनाव में नहीं उठाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा धार्मिक पहनावा हैं और इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहिए।
सभी रेस्टोरेंट, बार, शॉपिंग मॉल और सार्वजनिक जगहों पर भी अनिवार्य कर देना चाहिए। टीवी, अख़बार पर दिन रात यही मुद्दा चल रहा है। धार्मिक पहनावे के समर्थन में मैंने भी एक शेर लिखा है –
“हिजाब,बुर्का,भगवा,चोंगा,पगड़ी पहन आओ
यह तो पूरा धर्मनिरपेक्ष मोहल्ला मयखाना है”
कलुवा गाजीपुरी