हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने और इस क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किये जाने की 55 साल पुरानी मांग पूरी करने का रास्ता साफ हो गया है और संसद के मानसून सत्र में इस आशय का विधेयक पेश किये जाने की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि कल देर शाम उनकी गृह मंत्री अमित शाह से भेंट हुई थी जिसमें गृह मंत्री ने उन्हें सूचित किया है कि इस बार एथिनोग्राफी रिपोर्ट पूर्ण है और सरकार जल्द ही इसे कैबिनेट से मंजूरी लेने के बाद अब संसद के अगले सत्र में पारित होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिरमौर जिले में गिरिपार क्षेत्र में हाटी समुदाय की करीब तीन लाख की आबादी शिलाई, पांवटा साहिब, रेणुका एवं पच्छाद विधानसभा क्षेत्रों में बहुतायत में तथा नाहन, साेलन, शिमला, शिमला ग्रामीण एवं चौपाल विधानसभा क्षेत्रों में काफी हद तक प्रभावित करती है। एक बार हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जायेगा तो गिरिपार क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र का दर्जा भी स्वत: हासिल हो जाएगा। सिरमौर जिले की पिछड़ी घोषित 25 पंचायतों में से 23 पंचायतें गिरिपार क्षेत्र में हैं। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र से लगा है और जौनसारी जनजाति की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक आदि सभी प्रकार की समानताएं हैं।
जय राम ठाकुर ने इसकी पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 1967 में इस समुदाय काे जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग उठायी गयी थी और वर्ष 2005 में राज्य सरकार की ओर से पहल की गयी। लेकिन भारत के महापंजीकार की एथिनोग्राफी रिपोर्ट में कमी रहने के कारण इस दावे काे खारिज कर दिया था। इसी प्रकार से 2011 एवं 2016 में भी इसे खारिज कर दिया गया। बाद में सभी आपत्तियों एवं कमियों को दूर करके 18 सितंबर 2021 को हिमाचल प्रदेश सरकार की एथिनोग्राफी रिपोर्ट भेजी गयी जिसे केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है और इस प्रकार से हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने और इस क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किये जाने की 55 साल पुरानी मांग पूरी करने का रास्ता साफ हो गया है।