रियल स्टेट क्षेत्र की इकाइयों ने मुद्रास्फीति के दबाव और भू-राजनैतिक संकट के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दर को वर्तमान चार प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने के फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जाहिर की है कि घर खरीदने वालों और डेवलपर कंपनियों को वित्तिय संस्थाओं से वर्तमान दरों पर ब्याज मिलता रहेगा।
रियल स्टेट बाजार पर अनुसंधान एवं परामर्श सेवाएं देने वाली फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशर बैजल ने कहा, “भू-राजनैतिक चुनौतियों से उत्पन्न बाधाओं तथा मुद्रास्फीति के दबाव के बावजूद आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने की जरूरत को स्वीकार किया है। हम रेपो दर पर यथास्थिति तथा नीतिगत रुख को उदार बनाए रखने के आरबीआई के फैसले का स्वागत करते हैं। रेपो दर में बदलाव ना होने से वित्तीय संस्थान घर खरीदने वालों और रियल स्टेट डेवलपर दोनों के लिए ब्याज दर वर्तमान स्तर पर बनाए रख सकते हैं और इससे घरों की मांग का वर्तमान स्तर पर बना रहेगा।”
अजमेरा रियल्टी एंड इंफ्रा इंडिया के धवल अजमेरा ने भी रेपो दर वर्तमान स्तर पर बनाए रखे जाने का स्वागत करते हुए कहा, “हमें उम्मीद है कि आवास ऋण पर कम ब्याज दर के साथ घरों की मांग में तेजी बनी रहेगी।”
रियल एस्टेट कंपनियों के मंच नरेडको के अध्यक्ष राजन बंडेलकर ने कहा, “रिजर्व बैंक ने मुद्रस्फीति के दबाव और वृद्धि दर के समक्ष चुनौतियों को स्वीकार किया है, लेकिन रियल एस्टेट क्षेत्र को नीतियों तथा उपभोक्ताओं के उत्साह में सुधार की दृष्टि से मजबूत समर्थन की जरूरत है।”
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, “कुल मिलाकर नीतिगत स्तर पर उठाए गए कदमों में अच्छी सावधानी दिखायी गयी है और मौद्रिक नीति की दिशा धीरे-धीरे अति उदार रुख को वापस लिए जाने की ओर बढ़ रही है।”
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी वाई विश्वनाथ गोड़ा ने कहा, “मौद्रिक नीति को समान्य बनाए जाने के संकेत साफ दिखायी दे रहे हैं, लेकिन रिजर्व बैंक ने जिस तरह रेपो को लगातार अपरिवर्तित रखा है उससे आवासीय ऋण की मांग बनी रहेगी।”
गुडगांव की रियल स्टेट डेवलपर कंपनी सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा, “आरबीआई का उदार दृष्टिकोण घर खरीदने वालों में जग रहे विश्वास को बढ़ाएगा। इससे किफायती गृह ऋण और आवास की मांग को प्रोत्साहन मिलेगा तथा घरों के बाजार में आवासीय इकाइयों के बाजार में निरंतर सुधार प्रक्रिया बनी रहेगी। जिससे पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक शक्तिशाली प्रभाव उत्पन्न होगा।”
मिलवुड केन इंटरनेशनल के सीईओ निश भट्ट ने कहा, “रिजर्व बैंक का अब आगे ध्यान उदार मौद्रिक रुख से पीछे हटने पर होगा ताकि मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाया जा सके।”