शिमला : हिमाचल प्रदेश के जुन्गा के समीप खड़कीधार और करोली बीट के झंडी में बीते दो दिन से भीषण आग की चपेट में चीड़ के जंगल और किसानों की घासनियां राख में तब्दील हो गई।
वन विभाग के द्वारा वनों की अमूल्य संपदा को आग से बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए थे। इसके बावजूद भी गर्मियों के मौसम में हर वर्ष शरारती तत्वों और लोगों की लापरवाही के चलते करोड़ों रूपए की अमूल्य संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है।
वन परिक्षेत्राधिकारी कोटी रूपेन्द्र शर्मा ने आज बताया कि झंडी बीट में लगी आग से करीब 70 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहूंचा है। जिसकी खुले बाजार में कीमत करीब साढ़े 12 लाख आंकी गई है। उन्होंने बताया कि इस भीषण आग में चीड़ के करीब 40 पेड़ और तीन गौशालाएं जलने के अतिरिक्त एक पेयजल योजना को करीब डेढ लाख का नुकसान पहूंचा है। उन्होंने बताया कि वन के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया है। उन्होंने बताया कि अनेकों बार किसान आगामी बरसात में अच्छा घास उगने और वन में चीड़ की पत्तियों को जलाने के मकसद से आग लगा देते है। कई बार स्मोकिंग करने वाले लोग जलती बीड़ी अथवा सिगरेट को जंगलों में जानबूझ कर फैंक देते हैं जिससे जंगल में आग फैल जाती है और करोड़ो रुपए वन संपदा स्वाहा हो जाती है।
इसके अतिरिक्त जुन्गा के समीप खड़कीधार, ढलयाणा, क्याणा, कोट, कून, दोची इत्यादि में भी आगजनी से अधिकांश किसानों की घासनियां धू-धू कर जली, जबकि सरकारी वन को कम नुकसान हुआ है। वन रक्षक जुन्गा बीट रोहित शर्मा ने बताया कि सरकारी वन संपदा को आग से करीब एक हैक्टेयर का नुकसान पहूंचा है। उन्होने बताया कि विभाग के कर्मचारियों के अलावा प्रथम पुलिस बटालियन जुन्गा और स्थानीय लोगों ने आग को बुझाने में बहुत मदद की है। हालांकि शिमला से फायर ब्रिगेड भी पहुंच गई थी, लेकिन तब तक आग पर काबू पर लिया गया था।
समाज सेवी दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि हर वर्ष गर्मियों में जुन्गा के खड़की धार क्षेत्र में आग लगने से सरकारी और निजी संपति को नुकसान पहुंचता है जिसके लिए सरकार को पुख्ता प्रबंध करने चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिन किसानों की घासनियां जल कर राख हो गई है, उन्हें मुफ्त चारा उपलब्ध करवाया जाए अन्यथा घास के अभाव में पशुधन के लिए चारा की गंभीर समस्या पैदा होने वाली है।