महंगाई कभी भी खबर से बाहर नहीं होती । कभी ये बढ़ने से तो कभी घटने से। महंगाई के मोर्चे पर पिछले कुछ दिनों की खबरो को देखा जाए तो सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई दर पाँच महीने के निचले स्तर पे थी वही खाने वाले तेलों के बढ़ते दामों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने कस्टम ड्यूटी ख़त्म करने एवंम सेस घटाने का भी एलान किया है । वही सब्ज़ियों की खबर तों मौसमी होती है किन्तु टमाटर और प्याज़ के दाम ने हलचल मचा दि है। अब हिसाब जोड़िए की महंगाई बढ़ रही है या कम हो रही हैं? वही थोड़ी गहराई तक देखा जाए तो बात कुछ और ही है । अभी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष या आईएमएफ़ ने जो अनुमान जारी किया है बहुत से लोग कह रहे हैं कि भारत का विकास बहुत तेज होने वाला है दुनिया में । वही मुद्रा कोष ने इन आँकड़ों के साथ एक चेतावनी भी दी है कि जो महंगाई के ख़तरे की ओर इशारा कर रही हैं ।
बहरहाल रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति में कहा कि आने वाले तीन महीने में महंगाई क़ाबू में रहने के आसार दिख रहे हैं वही मुद्रा कोष की चेतावनी तीन महीने के आगे की है। उसका कहना है कि आने वाले साल में महंगाई दर कोरोना से पहले स्तर पर पहुँच जाएगी । आईएमएफ़ ने कहाँ कि महँगे पेट्रोल डीज़ल का असर महंगाई पर असर करता है ।वही भारत में महंगाई के बढ़ने के आसार को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है ।आईएमएफ़ ने अप्रैल महीने में भारत की महंगाई दर ४.९% से बढ़ाकर ५.६% कर दिया है।
वही सितंबर के महीने में खाने पीने की चीजों के दाम में ४.६९%की कमी आई है । यानी दाम बढ़ने के बजाय घटे है। वही अक्टूबर के महीने की शुरुआत से अब तक पेट्रोल डीज़ल और रसोई गैस के दामों में बढ़ोतरी हुई है । हालात बता रहे हैं कि आगे भी कोई राहत दिखने के आसार नहीं हैं ।