नयी दिल्ली : सरकार ने कहा है कि उसका एक प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया भारत की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करते हुए इसे दुनिया के एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र और निवेश स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। सरकार का कहना है कि इस कार्यक्रम से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तेजी से बढ़ा है और यह चालू वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
यह कार्यक्रम भारत में निवेश को सुगम बनाने, नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करने, कौशल विकास और विश्व-स्तरीय विनिर्माण सुविधाओं के विस्तार के लिए मोदी सरकार द्वारा 2014 में शुरू किया था। मेक इन इंडिया के 25 सितंबर 2022 को आठ वर्ष पूरे हो रहे हैं।
इस अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन आठ वर्षों में भारत में वार्षिक एफडीआई दोगुना होकर 83 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। मंत्रालय ने कहा है,” केंद्र सरकार देश में सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को प्राप्त किया जा सके।”
बयान में कहा गया है कि इकाइयों पर नियमों के अनुपालन का बोझ हल्का होने से लागत कम हुयी है और भारत में कारोबार करना आसान हुआ है। सरकार द्वारा शुरू की गयी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) से अबतक स्वीकृत सभी 14 क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को भारी बढ़ावा मिला है।
मंत्रालय ने कहा है कि इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के बीच भारत से खिलौनों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में 636 प्रतिशत ऊंचा रहा। बयान में इस बात का उल्लेख है कि वर्ष 2014-15 में एफडीआई 45.15 अरब डॉलर के बराबर था जो वित्त वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत में 31 राज्य और केंद्रशासित क्षेत्रों में 57 तरह के उद्योग धंधों में एफडीआई हुआ है। दुनिया के 101 देशों की कंपनियां भारत में सीधे निवेश काम कर रही हैं। मंत्रालय का दावा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।