श्रीनगर : महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकवादियों का समर्थन करने वाले स्थानीय लोगों के खिलाफ शत्रु एजेंट अध्यादेश लागू करने की आलोचना की और इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख आरआर स्वैन ने हाल ही में कहा था कि विदेशी आतंकवादियों का समर्थन करने वाले स्थानीय लोगों के खिलाफ शत्रु एजेंट अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसके तहत उन्हें आजीवन कारावास या मृत्युदंड दिया जा सकता है। शीर्ष पुलिस अधिकारी का यह बयान पिछले दो हफ्तों में जम्मू में हुई कई आतंकवादी घटनाओं के मद्देनजर आया है
सुश्री मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में शत्रु एजेंट अध्यादेश लागू करने की आलोचना की। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा हाल ही में अपने ही नागरिकों के खिलाफ आतंकवादियों को बढ़ावा देने और उनकी सहायता करने के संदेह के आधार पर महाराजा के समय के क्रूर शत्रु एजेंट अध्यादेश कानून को लागू करने का निर्णय न केवल बेहद चिंताजनक है, बल्कि न्याय का एक बड़ा उल्लंघन भी है। ये पुराने कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं और इसके साथ दी जाने वाली सजाएं संविधान में निहित न्याय के सिद्धांतों और मूल्यों के पूरी तरह खिलाफ हैं।”
उन्होंने कहा, “सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए भारत सरकार की कोशिश संवैधानिक अधिकारों को कुचलने और कानून के शासन को खत्म करने की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।”
सुश्री मुफ्ती की बेटी एवं उनकी मीडिया सलाहकार इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मियां कयूम की गिरफ्तारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से यह कानून लागू करने जैसी कार्रवाइयों से पता चलता है कि कश्मीर के बारे में भाजपा की नीति में बहुत कम बदलाव होगा। उन्होंने कहा, “मियां कयूम को गिरफ्तार करने, जेके हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के चुनावों पर प्रतिबंध लगाने और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा महाराजा के जमाने के एक कठोर कानून को लागू करने के जम्मू-कश्मीर प्रशासन के हालिया फैसले से आपको क्या पता चलता है?”
सुश्री इल्तिजा ने एक्स पर कहा, “बहुमत खोने के बाद भी कश्मीर के मामले में भाजपा की नीति में कोई खास बदलाव नहीं होगा। अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से पिछले पांच सालों में एक ही चीज लगातार बनी हुई है और वह है भारत सरकार की ओर से कश्मीरियों में डर और असुरक्षा की भावना पैदा करना।”
उन्होंने कहा, “अचानक की गयी दमनकारी कार्रवाइयों का उद्देश्य कश्मीरियों को उनके वोट के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए दंडित करना है, क्योंकि वे जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को अवैध रूप से रद्द करने के दिल्ली के फैसले और उसकी प्रॉक्सी पार्टियों को बहुत नापंसद और पूरी तरह से खारिज करते हैं।”