जयपुर : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद एवं विधानसभाओं का कार्य स्वस्थ लोकतंत्र की पूंजी बताते हुए कहा हैं कि यह संस्थाएं प्रमाणिक रूप से लोगों की इच्छाओं के साथ उनकी आकांक्षाओं को भी पूरा करती है। श्री धनखड़ मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में उनके अभिनन्दन पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। समारोह मेें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी, प्रतिपक्ष नेता गुलाब चन्द कटारिया एवं विधायक मौजूद थे।
श्री धनखड़ ने अपने उद्बोधन में संसद, विधानसभाओं एवं जनप्रतिनिधियों कार्यों एवं अपेक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली जनता के लिए अनुकरणीय होनी चाहिए। उन्होंने वर्तमान में सदस्यों द्वारा विधानसभाओं एवं संसद में किए जा रहे अमर्यादित आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए अनुरोध किया वे संविधान की मूल भावना को समझें और अनुशासित रहें। श्री धनखड़ ने जवाबदेही एवं पारर्दिशिता को संसद एवं विधानसभाओं के प्रमुख कार्य बताया और कहा कि सदस्य सदन का उपयोग विचार व्यक्त करने के लिए करें। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के तीन अंगों विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में से कोई भी एक-दूसरे से बढ़ा नहीं है, यह सभी संविधान के अधीन आते है।
उन्होंने इस अवसर पर अपनी राजनैतिक यात्रा के यादगार क्षणों का जिक्र करते हुए कहा कि श्री गहलोत के साथ उनका 50 वर्षों से ज्यादा पारिवारिक एवं राजनैतिक संबंध रहा है। उन्होंने श्री देवी लाल एवं पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत का उनके राजनैतिक जीवन में दिये गये योगदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उनके मन में प्रदेश
की जनता के लिए विशेष स्थान है और सदन के माध्यम से उन्हें जो अभिनन्दन और शुभकामनाएं मिली है, उसके लिए वे ऋणी है।
समारोह में मुख्यमंत्री गहलोत ने श्री धनखड़ को देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए यह गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि श्री धनखड़ ने हमेशा राजस्थान का
मान बढ़ाया है। श्री धनखड़ की राज्यपाल के रूप में अतुलनीय भूमिका रही है। पश्चिमबंगाल के राज्यपाल रहते हुए भी उन्होंने प्रवासी राजस्थानियों के लिए हमेशा अपने दरवाजे खुले रखे और सभी की हरसंभव मदद की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि वे उपराष्ट्रपति पद पर रहकर भी राजस्थान की प्रगति के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि पूरे सदन को इस पर गर्व है कि श्री धनखड़ इस विधानसभा के सदस्य रहें है। राजस्थान से श्री भैरोसिंह शेखावत के बाद वे दूसरे ऎसे व्यक्ति है जिन्होंने उपराष्ट्रपति पद को सुशोभित किया है। इस अवसर पर श्री जोशी ने श्री धनखड़ की केन्द्रीय मंत्री, विधायक एवं राज्यपाल के रूप में किये गये कार्यों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि श्री धनखड़ ने संविधान में उल्लेखित राज्यपाल की भूमिका को मूर्तरूप देने का प्रयत्न किया और साथ ही में मंत्री और विधायक के रूप में सभी जिम्मेदारियों का पूर्ण रूप से निर्वहन भी किया है। उन्होंने आशा व्यक्त कि श्री धनखड़ की उप राष्ट्रपति के रूप में भूमिका अनुकरणीय होगी।
प्रतिपक्ष के नेता श्री कटारिया ने कहा कि राजस्थान विधानसभा के लिए स्वर्णिम दिन है कि इस सदन के सदस्य एवं इस धरती पर पले-बढ़े एक व्यक्तिने उप राष्ट्रपति पद को प्राप्त किया है। किसान के घर जन्म लेने वाले व्यक्ति ने राज्य का सम्मान बढ़ाया है। इससे राज्य की सात करोड जनता का गौरव भी बढ़ा है।
इससे पहले श्री धनखड ने दीप प्रज्ज्वलित कर अभिनन्दन समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर डा जोशी, श्री गहलोत, श्री कटारिया ने पौधा भेंट कर श्री धनखड़ का स्वागत किया। तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, विधायक बलवंत पूनियां एवं विधायक रामप्रसाद ने भी श्री धनखड़ का स्वागत किया।
समारोह में श्री कटारिया ने श्री धनखड़ को राजस्थानी साफा पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ. जोशी ने श्री धनखड़ को भेंट किये गए अभिनन्दन पत्र का वाचन किया और श्री गहलोत ने श्री धनखड़ को अभिनन्दन पत्र भेंट किया। साथ ही डॉ. जोशी ने उपराष्ट्रपति को स्मृति चिह्न भी भेंट किया। इससे पूर्व उप राष्ट्रपति का श्री जोशी ने पुष्पगुच्छ भेंट कर एवं श्री गहलोत ने सूत की माला पहनाकर विधानसभा परिसर में अगवानी की। विधानसभा पंहुचने पर उपराष्ट्रपति को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया।