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मुफ्ती ने अनंतनाग-राजौरी में चुनाव न टालने की चुनाव आयोग से लगायी गुहार

श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष एवं अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को चुनाव आयोग से लोकसभा चुनाव की निर्धारित तारीख पर ही चुनाव कराने का आग्रह किया। सुश्री मुफ्ती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चुनाव आयोग राजनीतिक और रणनीतिक रूप से संवेदनशील केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित नहीं होने देकर अतीत में स्थापित निष्पक्ष और उच्च मानकों को बरकरार रखेगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर खराब मौसम के कारण चुनाव टालने की मांग की है। चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगी जो पहले ही जमा कर दी गई है। उन्होंने कहा, “इसे उन अधिकारियों से बेहतर कोई नहीं जानता, जिन्हें जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा चुनाव टालने की याचिका पर अपनी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है, जिसका वास्तव में मतलब लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अदृश्य धांधली होगा।”
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी जो जम्मू-कश्मीर कैडर का हिस्सा रहे हैं, वे जानते हैं कि राज्य, राष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र को नष्ट करने की कीमत चुकानी पड़ी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि वे इस अवसर पर आगे बढ़ेंगे और उन रिपोर्टों को भेजने के लिए दबाव नहीं डालेंगे जो जम्मू-कश्मीर में चुनावों की जमीनी स्थिति और इतिहास को खारिज करती हैं।
सुश्री मुफ्ती ने कहा कि चुनाव आयोग ने कड़ाके की ठंड के दौरान राज्य में प्रभावी ढंग से और सफलतापूर्वक चुनाव कराया है और लोगों और अधिकारियों ने अतीत में मतदान प्रक्रिया के दौरान भारी बर्फबारी के वावजूद अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा, “यहां तक कि 2014 में विनाशकारी और अभूतपूर्व बाढ़ के मद्देनजर राज्य में इसके तुरंत बाद चुनाव कराए गए थे, जब कश्मीर घाटी और जम्मू के अधिकांश हिस्सों में बुनियादी ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था।”
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि मौसम की अनिश्चितता के कारण देश के किसी भी हिस्से में चुनाव टालने का कोई औचित्य नहीं है। देश का कोई भी हिस्सा ऐसे मौसम से अछूता नहीं है। चुनाव टाले गये तो यह सभी पार्टियों के मतदाताओं और कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होगा, खासकर उन लोगों के साथ जो पीडीपी जैसी वित्तीय संसाधनों की कमी के बावजूद अपना अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने कहा, “जिन पार्टियों ने चुनाव टालने की मांग की है, उनके पास भारी मात्रा में धन है और इस आधार पर उनकी अदृश्यता को देखते हुए ऐसा लगता है कि वे पूरी तरह से सरकार और उसकी एजेंसियों के साथ मिलकर जोड़-तोड़ पर भरोसा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “यदि चुनाव आयोग इस साजिश का हिस्सा बना, तो यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण होगा, बल्कि हमारी राजनीति की नाजुक स्थित और आजादी के बाद से राज्य द्वारा अनुभव की गई लोकतांत्रिक कमी को मद्दनेजर इसके बहुत गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।”

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