नई दिल्ली : भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों को उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर संतुलित और सतत विकास में सहयोग के लिए व्यापक ‘ग्लोबल डेवेलपमेंट काॅम्पैक्ट’ प्रस्ताव किया है और व्यापार संवर्द्धन एवं क्षमता निर्माण के लिए दो कोष गठित कर 35 लाख डॉलर के योगदान की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को तीसरे वाॅयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने समापन वक्तव्य में यह प्रस्ताव रखा।
श्री मोदी ने वर्चुअल रूप में आयोजित शिखर-सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शामिल नेताओं के विचारों एवं सुझावों के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि आप सभी ने हमारी साझी चिंताओं और महत्वाकांक्षाओं को सामने रखा है। आपके विचारों से ये बात साफ़ है कि ग्लोबल साउथ एकजुट है। आपके सुझावों में हमारी व्यापक भागीदारी का प्रतिबिंब है। आज की हमारी चर्चा से आपसी सामंजस्य के साथ आगे बढ़ने का रास्ता तैयार हुआ है। उन्हें विश्वास है कि इससे हमारे साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गति मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आप सभी की बात सुनने के बाद, आज मैं, आपके सामने भारत की ओर से एक व्यापक ‘ग्लोबल डेवेलपमेंट काॅम्पैक्ट’ प्रस्ताव रखना चाहता हूँ। इस काॅम्पैक्ट की नींव भारत की विकास यात्रा और विकास साझीदारी के अनुभवों पर आधारित होगी। यह काॅम्पैक्ट ग्लोबल साउथ के देशों द्वारा स्वयं निर्धारित की गई विकास प्राथमिकताओं से प्रेरित होगा। यह मानव केंद्रित होगा, और विकास के लिए बहुआयामी होगा और बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा। यह विकास के लिए ऋण के नाम पर जरूरतमंद देशों को कर्ज तले नहीं दबाएगा। यह साझीदार देशों के संतुलित और सतत विकास में सहयोग देगा।”
उन्होंने कहा कि इस ‘डेवेलपमेंट काॅम्पैक्ट’ के तहत हम, विकास के लिए व्यापार, सतत वृद्धि के लिए क्षमता निर्माण, तकनीक साझीदारी, परियोजना केन्द्रित किफायती ऋण एवं अनुदान पर फोकस करेंगे। व्यापार संवर्द्धन गतिविधियों को बल देने के लिए, भारत 25 लाख डॉलर के विशेष फंड की शुरूआत करेगा। क्षमता निर्माण के लिए कारोबारी नीति और व्यापारिक सौदेबाजी में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए 10 लाख डॉलर का फंड प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों में वित्तीय दबाव और विकास वित्त पोषण के लिए भारत, एसडीजी उत्प्रेरक नेतृत्व समूह में सहयोग दे रहा है। हम ग्लोबल साउथ को सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराने के लिए काम करेंगे। हम औषधि नियंत्रकों के प्रशिक्षण में भी सहयोग करेंगे। कृषि क्षेत्र में ‘प्राकृतिक खेती’ के अपने अनुभव और तकनीक साझा करने में हमें खुशी होगी।
श्री मोदी ने कहा, “आपने तनावों और संघर्षों से जुड़ी चिंताओं को भी प्रकट किया है। यह हम सभी के लिए गंभीर विषय है। इन चिंताओं का समाधान न्यायपूर्ण एवं समावेशी वैश्विक शासन पर निर्भर करता है। ऐसे संस्थान जिनकी प्राथमिकताओं में ग्लोबल साउथ को वरीयता मिले। जहाँ विकसित देश भी अपने दायित्व और प्रतिबद्धताएं पूरी करें। ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच की दूरी को कम करने के लिए कदम उठाएं। अगले महीने संयुक्त राष्ट्र संघ में होने वाले भविष्य के लिए शिखर-सम्मेलन इस सब के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव बन सकता है।”
प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि ग्लोबल साउथ की प्रगति के लिए हम अपनी आवाज ऐसे ही बुलंद करते रहेंगे और अपने अनुभव साझा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज दिन भर हमारी टीमें सभी विषयों पर गहन चिंतन-मनन करेंगी। और इस फोरम को हम आने वाले समय में भी, आप सब के सहयोग के साथ, आगे बढ़ाते रहेंगे।