अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा करने के लिए रूस ने तालिबान को द्विपक्षीय वार्तालाप करने के लिए मास्को में आमंत्रित किया है। बैठक में और कौन से पक्ष शामिल होंगे इसके बारे में अभी कोई विस्तृत जानकारी सामने नही आइ है लेकिन तालिबान-रूस की यह द्विपक्षीय मुलाक़ात 20 अक्टूबर को मास्को में आयोजित होगी। तालिबान के एक आतंकी संघटन होने की बावजूद रूस में इस पर प्रतिबन्ध है लेकिन वर्तमान में तालिबान के हाथ में अफगानिस्तान की राजनीतिक सत्ता आने के बाद रूस ने वार्तालाप के लिए अनुमति दे दी है।
तालिबान को मान्यता देने की जल्दबाजी में नही रूस
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा ऐसा नही है कि रूस अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी घटनाओं को प्रोत्साहन देने के पक्ष में है बल्कि रूस लगातार क्षेत्रीय शान्ति को स्थापित करने के अपने प्रयासों के लिए दृढ संकल्पित है, लेकिन तालिबान के साथ यह वार्तालाप अफगानिस्तान के स्थिर भविष्य और अन्तराष्ट्रीय समुदायों के बीच अफगानिस्तान की वैधता को सुगम बनाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में है।
तालिबानी नेताओं के द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद वहां ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफगानिस्तान’ को घोषित कर दिया गया ह। हालाँकि, बहुत से विदेशी राष्ट्र ने अभी तक इस समूह को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है। रूस का रवैया भी पहले तालिबान के प्रति बिलकुल नरम नज़र आ रहा था लेकिन वर्तमान स्तिथि में रूस भी बड़ी सावधानी से इस मुद्दें पर अपनी नजर बनाए हुए है। रूस तालिबान की सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी में नही है क्योंकि इसका फैसला तालिबान के व्यवहार पर निर्भर करेगा।
रूस ने अफगानिस्तान में अमेरिका की तालिबान नीति की भी आलोचना की जिसमे यह कहा गया कि अमेरिका के समर्थन से जो सरकार अफगानिस्तान की सत्ता पर बैठाई गई उससे कोई हल नही निकला बल्कि बुरी तरह से धराशाही हो कर गिर गई और अमेरिका को भी अपने सैनिकों को शर्मनाक तरीके से वापस बुलाना पड़ा।