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अयोध्या में श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गोेरखपुर में विशेष उत्साह

गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में आज अयोध्या में हुए ..श्री राम लला.. की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विशेष उत्साह है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के आन्दोलन की शुरूआत नाथ योगियों की भूमिका और तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वरों के निर्देशन में शुरू हुआ और उसे लेकर उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों में मंदिर निर्माण की गतिविधियां तेज हुयी थी।
गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के आन्दोलन को लेकर सक्रिय भागीदारी की थी तथा बाद में आज जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के बाद श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा और उन्हें मंदिर में विराजमान कराये जाने के कार्यक्रम अयोध्या में एक समारोह के रूप में आयोजित है ऐसे में गोरखपुर से उठे आन्दोलन को साकार रूप में सम्पूर्ण विश्व देख रहा है।
गोरखपुर में स्थित गोरक्षनाथ मंदिर के सचिव द्वारका तिवारी के अनुसार महंत गोपाल दास वर्ष 1855 से 85 तक मंदिर को लेकर मुखर रहे। योगीराज गंभीर नाथ वर्ष 1900 से 1917 तक सक्रिय रहे। इसके बाद राम जन्म भूमि मुक्ति आन्दोलन को निर्णायक स्थित में पहुंचाने में योगदान दिया। महंत दिग्विजय नाथ, ने वर्ष 1934 में मंदिर आन्दोलन को प्रखर और प्रबल बनाने का प्रयास शुरू किया और सनातन स्वाभिमान से जोडते हुए साधु संतों को एक मंच पर ले आये।

श्री तिवारी ने बताया कि महंत दिग्विजय नाथ मंदिर आन्दोलन में इस तरह से जुडे कि उन्हें प्रभू श्री राम के प्रकटीकरण की तिथि 22 दिसम्बर, 1949 से नौ दिन पहले ही अयोध्या पहुंच गये और अखंड रामायण का पाठ शुरू कर दिया। प्राटय के समय दिग्विजय नाथ वहां माजूद थे। यहीं से अउांदोलन को धार मिली। प्रकटीकरण का पा्रकरण न्यायालय पहुंचा परिणामस्वरूप् विवादित स्थल पर ताला जड दिया गया। दैनिक पूजा की अनुमति भी पुजारियों को मिल गयी। कथित धर्मनिरपेक्षों के कुत्सित प्रयास जारी रहे, मगर श्री राम लला के विग्रह को परिसर से बाहर बाहर करवा पाने में सफल नहीं हो पाये।
प्रकटीकरण के बाद महंत दिग्विजयनाथ 1969 में ब्रहमलीन होने तक श्री राम जन्म भूमि के उध्दार के प्रति संकल्पित रहे। अपने गुरू के प्रयासों को फलीभूत करने का दायित्व महंत अवेद्यनाथ ने संभाला और जन्मभूमि आन्दोलन को वैश्विक स्वरूप् दिया। शैव-वैष्णव के धमाचार्यों को एक मंच पर लाने के बाद वर्ष 1984 में श्री राम जन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया और आजीवन अध्यक्ष रहे। सात अक्टूबर 1984 को अयोध्या से लखनउ के लिए महंत अवेद्यनाथ के नेतृत्व में धर्मयात्रा निकाली गयी और लखनउ में आयोजित सम्मेलन में 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। महंत अवेद्यनाथ भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ सोत जागते थे। मंदिर में आने वाले हर महत्वपूर्ण व्यक्ति से अपने जीवन काल में दराम मंदिर निर्माण देखने की इच्छा जरूर व्यक्त करते थे। महंत के ब्रहमलीन हाने से कुछ समय पहले जब आरएसएस के वर्तमान मुखिया केसी सुर्दशन उनसे मिलने आये ,तो वह बार बार कहते रहे कि जीते जी राम मंदिर बनते देखना चाहते हैं।
तिवारी बताते हैं कि नाथ पंथ के आधुनिक पांच पीढियों ने सडक-ससंद और न्यायालय तक श्री राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर की लडायी लडी है। नाथ पीठ के पीठाधीश्वरों ने श्री राम को सांस्कृतिक राष्टवाद का प्रतीक माना है। श्री राम मंदिर उनके लिए राष्ट्र निर्माण का आन्दोलन था।
इक्कीसवी सदी की दहलीज पर जब राम जन्म भूमि आंदोलन का स्वर जब धीमा पडने लगा तो योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2003 में विराट हिन्दू संगम का आयोजन गोरखपुर में किया। इस आयोजन में 100 सम्प्रदायों के दस लाख से अधिक राम भक्त शामिल हुए और राम जन्म भूमि आनेलन ने पुन: गति पकड ली।। वर्ष 2006 में विश्व हिन्दू महासंघ का गोरखपुर में सममेलन भी जन्मभूमि आन्दोलन के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।। मुख्यमंत्री होने के कारण तमाम व्यस्तता के बावजूद योगी अयोध्या के लिए समय निकालते रहे।
अन्तर्राष्टीय स्तर की सुविधाओं से सम्पन्न अयोध्याा धाम के लिए योगी सरकार ने हर सम्भव कदम उठाये हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ 68 बाद अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तथा आरस पास के क्षंत्रसों में आल राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर लोगों में भक्ति भावना है और जगह जगह ब्रहममूहूर्त से जत्थों में पुरूष, महिलायें बडी संख्या में भजन कीर्तन कर रहे हैं।

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