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हिमाचल में आर्थिक लाभ को रोकने के मुद्दे पर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

शिमला : हिमाचल किसान सभा, एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईएलयू संगठनों की हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटियों ने इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के चुनावी प्रक्रिया के दौरान फॉर्म भरने व पहले से ही मिल रहे पन्द्रह सौ रुपये के आर्थिक लाभ को रोकने के मुद्दे पर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए।
इस दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अधिकारियों के माध्यम से जगह-जगह ज्ञापन सौंपे गए।
शिमला के उपायुक्त कार्यालय में हुए प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा, फालमा चौहान, डॉ कुलदीप सिंह तंवर, सत्यवान पुंडीर सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे। वक्ताओं ने कहा कि यह योजना चुनाव आचार संहिता के लागू होने से पूर्व ही हिमाचल प्रदेश में लागू हो चुकी थी।
इसके तहत लाभार्थियों के फॉर्म भरने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही थी जिसे अब चुनाव के दौरान रोक दिया गया है। लाहौल स्पीति व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में इस योजना के तहत महिलाओं को पन्द्रह सौ रुपये की आर्थिक सहायता पिछले कुछ महीनों से मिल रही थी जो चुनाव के दौरान अब बन्द कर दी गयी है। यह भारतीय संविधान के तहत अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजक जीवन जीने के नागरिकों के मौलिक अधिकार व अन्य अधिकारों का उल्लंघन है। इस योजना को पूर्ववत निरन्तर जारी रखा जाए।
उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में महिलाओं को पन्द्रह सौ रुपये देने की योजना को चुनाव के दौरान बदस्तूर जारी रखा जाए क्योंकि यह निधि योजना पिछले कुछ महीने पहले ही लाहौल स्पीति जिला में लागू हो चुकी थी व इस योजना के तहत महिलाओं को सम्मान राशि चुनाव की घोषणा के पहले से ही मिल रही है। पूरे प्रदेश में भी इस योजना को लागू करने की अधिसूचना लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले जारी हो चुकी है व प्रदेश में हज़ारों महिलाएं इस योजना के फार्म भर चुकी हैं। यह किसी भी तरह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है क्योंकि इस योजना की अधिसूचना चुनाव की घोषणा के बाद नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में महिलाएं मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं व कृषि गहरे संकट से गुजर रही है। इसके अलावा मनरेगा में महिलाओं को कुछ रोज़गार हासिल है जोकि बेहद कम है। सेवा क्षेत्र में उनकी भागीदारी भी काफी कम है। उद्योगों में महिलाओं का रोज़गार नगण्य है। राज्य में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं व सामाजिक तौर पर कमज़ोर हैं। प्रदेश में महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति काफी कमजोर है। पंद्रह सौ रुपये की यह राशि उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी में काफी अहमियत रखती है। इस से इंकार करना इन महिलाओं के साथ घोर अन्याय होगा।
उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मांग की है कि प्यारी बहना योजना की पन्द्रह सौ रुपये की मदद के फॉर्म भरने की प्रक्रिया बहाल की जाए। प्यारी बहना योजना की पन्द्रह सौ रुपये की राशि देने की प्रक्रिया को बहाल किया जाए। प्यारी बहना योजना पर लगाई गई रोक को तुरन्त बहाल किया जाए।

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