नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अमरावती से सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता नवनीत कौर राणा को बड़ी राहत देते हुए उनके अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को गुरुवार को बरकरार रखने वाला फैसला दिया।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने इस मामले में गठित जांच समिति के फैसले को बरकरार रखा। समिति ने 2019 के लोकसभा चुनावों में नामांकन पत्र दाखिल करते समय इस्तेमाल किए गए उनके (नवनीत कौर राणा) जाति प्रमाण पत्र में कोई त्रुटि नहीं पाई थी।
शीर्ष अदालत ने फैसला में कहा कि उचित जांच के बाद उस जांच समिति के निष्कर्षों में किसी प्रकार की हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उनके (नवनीत कौर) अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया गया था। सांसद कौर ने जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के इस फैसले को शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने पूर्व शिवसेना सांसद आनंदरा विठोबा अडसुल की याचिका पर 2021 में अपना फैसला दिया था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था सांसद राणा का जाति प्रमाणपत्र ‘मोची’ का था। आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उसे धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था , हालांकि वह सिख ‘चमार’ जाति से ताल्लुक रखती है।
शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 29 फरवरी 2024 को सुश्री राणा की विशेष अनुमति याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी थी।