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सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर-पत्रकार शंकर को दी राहत, पुलिस की दंडात्मक कार्रवाई रोका

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने यूट्यूबर-पत्रकार और सत्तारूढ़ डीएमके सरकार के कटु आलोचक माने-जाने वाले सावुक्कू शंकर के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस की ओर से दर्ज 16 मुकदमों में किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई पर बुधवार को रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता शंकर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन ने दलील देते हुए कहा कि एक दिन पहले मंगलवार को ही उन्हें (शंकर) फिर से एहतियातन हिरासत में रखा गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने पहले हिरासत आदेश को रद्द कर दिया था। इस पर श्रीनिवासन ने कहा कि उन्हें अक्टूबर 2023 में दिए जाने वाले साक्षात्कार के लिए अनुचित तरीके से गिरफ्तार किया गया और हिरासत में लिया गया था।
पीठ ने वकील से शंकर के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों का चार्ट दाखिल करने को कहा और उन्हें शीर्ष अदालत में ही नवीनतम हिरासत आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने विभिन्न गंभीर आपराधिक मामलों में 18 जुलाई 2024 को अंतरिम जमानत दी गई थी।
याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर तमिलनाडु में भ्रष्टाचार को उजागर किया, जिसकी वजह से सत्तारूढ़ डीएमके सरकार के गुस्से का सामना उन्हें सामना करना पड़ा।
अधिवक्ता श्रीनिवासन, हर्ष त्रिपाठी और के गौतम के माध्यम से दायर रिट याचिका में शंकर ने तर्क दिया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने 09 अगस्त 2024 को एक विस्तृत फैसले द्वारा हिरासत आदेश को रद्द कर दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने 30 अप्रैल 2024 को उनके द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार के मामले में कई मुकदमों में उन्हें विभिन्न अदालतों में पेश कर रही है।

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