नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में 20-30 वर्षों से लंबित अपराधिक मामलों से संबंधित अपील पर रिपोर्ट देने को कहा। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और बी. आर. गवई की पीठ ने हत्या के मामले में खुर्शीद अहमद नामक व्यक्ति की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान दशकों से लंबित अपील के संबंध में जानकारी सामने आने न्यायालय ने रिपोर्ट देने को कहा।
पीठ ने इलाहाबाद, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पटना, बॉम्बे और उड़ीसा उच्च न्यायालयों में 20- 30 से अधिक वर्षों से आपराधिक अपीलें लंबित होने की जानकारी मिलने पर संबंधित उच्च न्यायालयों को रिपोर्ट देने को कहा। शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को नोटिस जारी किया तथा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से इस संबंध में मदद मांगी। शीर्ष अदालत के समक्ष बताया गया था कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 20-30 वर्षों से अपील से संबंधित मामले लंबित हैं। एक वकील ने पीठ को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष सबसे पुरानी अपील वर्ष 1980 से लंबित है।
इस पर अदालत ने कहा , “इसका मतलब 42 साल है। मुकदमे में चार से पांच साल लग गए होंगे। जिस व्यक्ति ने 1970 के दशक में 30-40 वर्ष की आयु में अपराध किये होंगे, वह अब 80-90 वर्ष होंगे।”पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के अधिकार का हवाला देते हुए उच्च न्यायालयों से एक कार्य योजना तैयार करने को कहा।
वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि 1982 से 1991 के दौरान औसतन 200 से ज्यादा अपीलें होती थीं। इस प्रकार एकल पीठों के समक्ष कुल 14,112 और 13192 अपीलें अन्य खंडपीठों के समक्ष लंबित थीं। इस प्रकार देखा जाए तो 1980 से 2020 तक कुल मिलाकर 27304 अपीलें लंबित थीं।