ताइवान और चीन में कूटनीतिक जुबानी जंग शुरू हो गई है दोनों ही देश एक दुसरे के विरोध में एक बार फिर से आमने-सामने है. ताइवान ने चीन की सैन्य गतिविधियों के सम्बन्ध में उसकी आलोचना की है. हाल ही में ताइवान के वायुक्षेत्र में चीनी लड़ाकू विमान उड़ान भरते दिखाई दिए थे. जिसके जवाब में आज ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सैन्य गतिरोध वाली स्थिति की और बढ़ना नहीं चाहता. लेकिन अगर कोई भी देश ताइवान की संप्रभुता एवं लोकतान्त्रिक मूल्यों को चुनौती देने की कोशिश करता है तो ताइवान को अपनी रक्षा के लिए जो भी कदम उठाने होंगे वह उन्हें उठाएगा।
ताइवान एयर स्पेस में 150 चीनी विमानों की गतिविधि की आलोचना
हाल में ताइवान के वायु क्षेत्र में घुसे थे चीनी वायुसेना के 150 विमान. इस घटना से स्थिति तनावपूर्ण थी. चाइना ने उस हवाई क्षेत्र को अपना हिस्सा बताया था. चीन ने ताइवान के मुद्दे पर विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया था. गौरतलब है कि चीन अपनी विस्तारवादी निति के तहत ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है.
अब ताइवान ने भी चीन के द्वारा की जा रही सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर अपना का पक्ष दुनिया के सामने रखा. ताइवान की तरफ से कहा गया है हम विश्व समुदाय के सामने लगातार चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध कर रहे हैं. ताइवान और चीन के सीमावर्ती इलाके को हम ‘ग्रे वारफेयर’ कहते है. इस इलाके में चीन की लगातार यह कोशिश है कि किसी ना किसी तरह ताइवान के सैन्य बलों के धैर्य का परीक्षण ले और बदले ही कार्यवाही के लिए उकसाया जाए.
इसलिए हम एक बार फिर से कहना चाहते हैं कि ताइवान सैन्य गतिरोध के पक्ष में नहीं है, हम अपने सभी सहयोगियों से आपसी पारस्परिक संबंध और एक स्थाई माहौल चाहते हैं, जहां पर आपसी पारस्परिक संबंधों को महत्व दिया जाता हो, लेकिन चाइना के द्वारा की जा रही है ऐसी गतिविधियों पर ताइवान भी जवाब देना जानता है.
चाइना लगातार ताइवान को समर्थन देने वाले सहयोगी देशों पर यह आरोप लगाता रहता है कि वह क्षेत्रीय इस क्षेत्र में चीन की संप्रभुता को खतरा है और अमेरिका-ताइवान के आपसी सम्बन्ध को खतरा बताता है. ताइवान ने इच्छा जताई कि वह इंडोपेसिफिक क्षेत्र में एक शांतिपूर्ण स्थाई और ट्रांसपेरेंट वातावरण चाहता है जहां पर इस क्षेत्र के सभी देशों का विकास हो सके लेकिन चीन के द्वारा अपनाई जा रही नीति के कारण इस प्रगतिशील सोच के लिए विरोधाभास पैदा होता है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके दुष्परिणाम पड़ने की संभावना दिखती है.
चीन का रूख भी ताइवान पर आक्रामक
ताइवान के जवाब के बाद एक बार फिर से चीन ने ताइवान को धमकी देने की कोशिश की है. चीन के राष्ट्रपति ने आज एक सभा में ताइवान के सम्बन्ध में वर्तमान विदेश निति को दोहराते हुए यह कहा कि चीन अपने क्षेत्रीय मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहता है, ताइवान चीन का ही क्षेत्र है लेकिन अगर शांतिपूर्ण तरीकें से इस मसले का हल नही निकलता है तो चीन की तरफ से ताइवान पर सैन्य कार्यवाही भी की जा सकती है. चीन के एकीकरण के लिए ताइवान के ऊपर जैसा भी फैसला लेना हो चीन वह फैसला लेगा.
अमेरिका और चीन के बीच भी ताइवान के मुद्दें पर स्तिथि गंभीर है. जहां एक तरफ ताइवान को अमेरिका की तरफ से समर्थन मिल रहा है. अमेरिका-ताइवान के सैनिकों को जरूरी हथियार और सैनिक प्रसिक्षण दे रहा है. वही चीन अमेरिका के इस रूख से बिलकुल खुश नही है. चीन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए यह कहा है, कि बाहरी देशों को चीन के आतंरिक मुद्दे पर हस्तक्षेप नही करना चाहिए. चीन और अमेरिका पिछले कुछ दिनों से लगातार ताइवान के मुद्दें पर आपसी कशमकश में लगे हुए है, लेकिनं स्तिथि अभी भी टकराव की बनी हुई है.