मुंबई : विश्व बैंक की दुनिया में फिर से मंदी आने की चेतावनी से बीते सप्ताह 1.6 प्रतिशत लुढ़ककर भूचाल का सामना कर चुके शेयर बाजार की अगले सप्ताह दिशा निर्धारित करने में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंगलैंड की मौद्रिक नीति पर आने वाले निर्णय तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के रुख की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
बीते सप्ताह 60 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर चुका बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 952.35 अंक यानी 1.6 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर 58840.79 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 18 हजारी निफ्टी 302.5 अंक अर्थात 1.7 अंक लुढ़ककर 17530.85 अंक पर आ गया। समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियां भी मुनाफावसूली का शिकार हुईं। इससे मिडकैप 409.01 अंक टूटकर 25528.21 अंक और स्मॉलकैप 329.35 अंक उतरकर 29199.39 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, अगले सप्ताह 20-22 सितंबर को फेड रिजर्व की ऑपेन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक है। अमेरिका में इस वर्ष अगस्त में महंगाई दर जुलाई के 8.5 प्रतिशत के मुकाबले घटकर 8.3 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले चार महीने का न्यूनतम स्तर है। इस तरह अमेरिका में लगातार दूसरे महीने महंगाई दर में कमी आई है। महंगाई पर लगाम लगाने में सख्त मौद्रिक नीति की भूमिका अहम मानी जा रही है। ऐसे में एफओएमसी की प्रस्तावित बैठक में ब्याज दर में लगातार तीसरी 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की संभावना है। इस पर अगले सप्ताह बाजार की प्रतिक्रिया होगी, जिसका असर घरेलू शेयर बाजार पर भी देखा जा सकेगा।
इसी तरह अगले सप्ताह बैंक ऑफ इंगलैंड की भी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक है, जिसमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। ऐसे में बेहतर रिटर्न की उम्मीद में एफआईआई का घरेलू शेयर बाजार से निवेश निकालने की आशंका बढ़ गई है। वैसे भी बीते सप्ताह एफआईआई की बिकवाली इसके पिछले सप्ताह के मुकाबले अधिक हुई है। आलोच्य अवधि में उनका निवेश 3837.56 करोड़ रुपये से कम होकर 1915.95 करोड़ रुपये पर आ गया है। यदि एफआईआई की बिकवाली ऐसे ही जारी रही तो इसका बाजार पर सीधा असर देखा जा सकता है। बीते सप्ताह घरेलू संस्थागत निवेशक भी बाजार से 3006.50 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।