मुंबई : विश्व बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर बैंकिंग और टेक कंपनियों में हुई भारी बिकवाली के दबाव में बीते सप्ताह एक प्रतिशत से अधिक लुढ़के शेयर बाजार की अगले सप्ताह अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को लेकर होने वाले फैसले पर नजर रहेगी। बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 982.56 अंक अर्थात 1.4 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर 70700.67 अंक रह गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 269.8 अंक यानी 1.25 प्रतिशत की गिरावट लेकर 21352.60 अंक पर आ गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों पर भी बिकवाली का दबाव रहा। इससे बीएसई का मिडकैप 458.48 अंक अर्थात 1.2 प्रतिशत लुढ़ककर 37746.29 अंक और स्मॉलकैप 76.95 अंक यानी 0.2 प्रतिशत उतरकर 44363.74 अंक रह गया।
विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक बाजार के मिश्रित रुझान के बीच आईटी और बैंकिंग शेयरों में भारी बिकवाली से बाजार में गिरावट देखी गई। भारत के पीएमआई मजबूत आंकड़ों के बावजूद बाजार को तेजी के लिए संघर्ष करना पड़ा। यह गिरावट यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) के आसन्न दर निर्णयों के बारे में आशंकाओं के कारण थी।
अगले सप्ताह 30-31 जनवरी को फेड रिजर्व की होने वाली नीतिगत बैठक में ब्याज की मौजूदा दरों को यथावत बनाए रखने की संभावना से अमेरिकी बांड यील्ड में तेजी और बाजार में एफआईआई की बिकवाली हो सकती है। हालांकि अमेरिका में जारी मज़बूत पीएमआई आंकड़ों के बीच सभी की निगाहें अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और बेरोजगारी के आंकड़ों पर हैं, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था और संभावित नीतिगत दरों पर होने वाले निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से विकास और वित्तीय तरलता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पीबीओसी की आरक्षित अनुपात में 0.5 प्रतिशत की कटौती ने बीते सप्ताह घरेलू बाजार को अल्पकालिक समर्थन किया। हालांकि निवेशक चीन की व्यापक प्रोत्साहन योजनाओं पर अतिरिक्त विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
वित्तीय सलाह देने वाली कंपनी जीओजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने बताया कि बीते सप्ताह ऊंचे भाव, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों और मध्य-पश्चिम में जारी भू-राजनीतिक तनाव के कारण बाजार बढ़त बनाए रखने में असमर्थ रहा। साथ ही मासिक वायदा सौदा निपटान का भी बाजार पर असर रहा। अगले सप्ताह प्रमुख देशों के नीतिगत दरों पर निर्णय जैसे वैश्विक कारकों पर बाजार की नजर रहेगी।