दिल्ली, 26 मार्च। देश के शहीदों की याद में दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा शुक्रवार देर सांय एक विशेष कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। “शहीदों को काव्यांजलि” नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में कवियों ने अपनी भावपूर्ण और औजपूर्ण कविताओं से युवाओं में देश भक्ति का संचार किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ डीटीयू कुलसचिव प्रो. मधुसूदन सिंह सहित सभी कवियों ने दीप जलाकर किया। समारोह के दौरान पदमश्री कवि सुनील जोगी ने अपने काव्य गीत में शहीदों कुछ इस प्रकार याद किया…
“ये भगत सिंह की निशानी, इसमें शेखर की कहानी,
बोस का जय हिन्द इसमें, इसमें है झाँसी की रानी,
ये तिरंगे का वतन है, …बोस का जय हिन्द इसमें…”
मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम के संयोजक कवि अनिल अग्रवंशी ने जहां अपने व्यंग्य बाणों से माहौल को संजीदा बनाए रखा वहीं उन्होने भी अपनी वीर रस की कविता के माध्यम से कुछ इस प्रकार पड़ौसी मुल्क पर तंज़ कसे….
“फैसला कर देंगे इस बार आर पार में,
लाहौर और कराची को मिला देंगे दिल्ली-एनसीआर में…. ”
कवित्री गौरी मिश्रा ने अपनी श्रृंगार रस की कविताओं के साथ गीत शैली में वीर रस का खूब प्रसार किया। उन्होने सैनिकों की प्रेरणा के लिए उनकी पत्नियों, बहनों व माताओं के त्याग की चर्चा की। उन्होने अपने गीत में सरहद पर तैनात एक सैनिक की पत्नी के फोन का जिक्र कुछ यूं किया….
“अभी ही तो पिया हमसे गए तुम दूर सरहद पर,
ना करना शर्त दुश्मन की कोई मंजूर शरहद पर,
मुहब्बत देश से जो है तुम्हारी तुम निभा देना,
निछावर कर हमारी मांग का सिंदूर सहरद पर…”
औज के युवा कवि मनवीर मधुर ने भी अपनी कविता से हाल में मौजूद लोगों को रोमांचित कर दिया। उन्होने राष्ट्र भक्ति व देश पर जान देने वाले शहीदों को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के दौर में इंकलाब को कुछ इस प्रकार याद किया….
“बरबादी से जंग लड़ी है तब आबाद हुए हैं हम,
रोम-रोम में इंकलाब भर जिंदाबाद हुए हैं हम,
….मिटे कई आजाद यहाँ पर तब आजाद हुए हैं हम…”
जाने माने औज के राष्ट्रीय कवि योगेन्द्र शर्मा ने अपनी वीर रस की काव्य प्रस्तुति से युवाओं को खूब प्रभावित किया। उन्होने भ्रष्टाचार से लेकर कई बुराइयों पर प्रहार करते हुए राष्ट्रवाद की भावना का खूब प्रसार किया। उन्होने सीमाओं पर प्रतिवर्ष जान गंवाने वाले वीरों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए तंत्र एवं व्यवस्था पर कुछ इस प्रकार प्रहार किए….
अगर सियासी रंग ना होता संविधान की वर्दी पर,
आतंकी घटनाओं को कोई नादना नहीं करता,
सही वक्त पर सरेआम अफजल को फांसी दी होती,
तो मुंबई में घनघोर धमाके वो शैतान नहीं करता…”
कवि अनुपम गौतम ने अपनी श्रृंगार रस की कविताओं से युवाओं को खूब गुदगुदाया। इसके साथ ही उन्होने वीर रस का भी संचार किया। उन्होने व्यंगात्मक लहजे में भारत के दुश्मनों पर कुछ यूं निशाना साधा…
“दुनिया के नक्शे से तेरी हस्ती भी खो सकती है,
जरा होश में रहना गलती दुबारा हो सकती है…”
विनीत पांडे ने कार्यक्रम के शुरुआत में कवि सम्मेलन का आगाज करते हुए सबसे पहले शहीदों को प्रणाम किया। उन्होने कहा कि हमारे अमर शहीदों ने जिस ज़िंदादिली से अपना जीवन जिया वो हमारे लिए मिशाल है। अपने हास्य-व्यंग्य की शैली को वीरता से जोड़ते हुए अपनी रचना को उन्होने कुछ यूं पेश किया…
“हंसी ये भी भुला देती कि है सीने में क्या रखा,
घुटन के साथ रहकर गम को है पीने में क्या रखा,
मिली है ज़िंदगी हर हाल में कट जाएगी लेकिन,
बिना ज़िंदादिली के ज़िंदगी जीने में क्या रखा…”
कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों को डीटीयू की ओर कुलसचिव प्रो. मधुसूदन सिंह ने सम्मानित किया। इस अवसर पर कवि पदमश्री सुनील जोगी, योगेंद्र शर्मा, अनिल अग्रवंशी, विनीत पाण्डे, मनवीर मधुर, अनुपम गौतम एवं श्रीमति गौरी मिश्रा ने अपनी-अपनी काव्य प्रस्तुतियों से खूब तालियाँ बटोरी। कार्यक्रम में डीटीयू कुलपति कुलसचिव प्रो. मधुसूदन सिंह सहित शिक्षक, गैर शिक्षक अधिकारी एवं कर्मचारी और अनेकों विद्यार्थी उपस्थित थे।