मानवता का इतिहास लाखों, करोड़ों साल पुराना है। जब से मानवता की शुरुआत हुई तभी से ही विवाद और युद्ध की भी शुरुआत हुई।कभी कभी दो पक्षों के बीच का विवाद युद्ध का कारण बन जाता है।विवाद और युद्ध का अच्छाई-बुराई, सही-ग़लत से कुछ भी लेना देना नहीं होता है। विवाद और युद्ध अच्छाई और बुराई, बुराई और बुराई और अच्छाई और अच्छाई में भी होता रहता है। विवाद और युद्ध दोनो बिल्कुल अलग अलग चीजें हैं।
इतिहास में बहुत ऐसे विवाद दर्ज हैं जो महायुद्ध में परिवर्तित हो गए। उदाहरण के तौर भगवान परशुराम और सहस्रबाहु, प्रभु श्री राम और रावण, कौरव और पाण्डव तथा बहुत सारे और विवाद हैं जो महायुद्ध का कारण बने। विवाद के साथ एक अच्छा पहलू यह है कि इसमें समझौते की गुंजाइश बनी रहती है। विवाद को समझदारी दिखाकर युद्ध बनने से रोका जा सकता है।
युद्ध के लिए विवाद का होना ज़रूरी नहीं है। युद्ध एक आदत, शौक और परम्परा है।युद्ध अपनी सत्ता का विस्तार करने ,अपने को सबसे शक्तिशाली साबित करने के लिए भी किया जाता है।पहले राजा के लिए युद्ध एक कर्तव्य और मुख्य काम होता था।पहले राजसूय यज्ञ की परम्परा थी और बहुत से चक्रवर्ती सम्राट ऐसे भी हुए जिन्होंने तीनों लोकों को जीत लिया था।जो युद्ध बिना किसी विवाद के शौक पूरा करने के लिए शुरू किया गया हो उस युद्ध को रोका नहीं जा सकता और परिणाम हार,जीत या आत्मसमर्पण ही होगा।
पहले जब युद्ध दो पक्षों में शुरू होता था तो दोनो पक्षों की तरफ़ से युद्ध करने के लिए पूरी दुनियाँ के लोग इकट्ठे हो जाते थे।लोग सही ग़लत का विचार किए बिना युद्ध में अपने अपने हिसाब से किसी पक्ष में खड़े हो जाते थे। अक्सर ये होता था की लोग जो कमजोर होता था उसकी तरफ़ खड़े होते थे।इस बात की भी ज़्यादा सम्भावना होती थी की कमजोर पक्ष सही होता था। अगर कोई मदद माँगता था तो अपना नुक़सान फ़ायदा छोड़ कर युद्ध में मदद के लिए कूद जाते थे।
पिछले कुछ सालों में युद्ध के नियम बदले हैं।अब लोग दो पक्षों के बीच हो रहे युद्ध में जल्दी आते नहीं हैं और अगर आते भी हैं तो अपने फ़ायदे नुक़सान का आँकलन करने के बाद ही आते हैं।अभी पिछले कुछ महीनों के दौरान हुए युद्ध जैसे अफगानिस्तान- तालिबान, यूक्रेन-रुस को देखकर तो यही लग रहा है की पूरी दुनिया बेज़ुबान है। एक शेर लिखा है इस दौर को देखते हुए –
“ये नई दुनिया कितनी बेज़ुबान है
नए दौर की अब ये नई पहचान है “
अब नए दौर के इस युद्ध का परिणाम जो भी हो हारेगी तो मानवता ही। अफगानिस्तान- तालिबान युद्ध की अमानवीय घटनाएँ पूरे जीवन भर तक दिमाग़ में घूमती रहेंगी।बहुत सारे आम नागरिक दर्दनाक मौत जैसे हवाई जहाज़ के पंखे और पहिए में फँस कर जान गँवा दिए। कितने मासूमों का सब कुछ ख़त्म हो गया और उनका जीवन अब कभी ठीक नहीं हो पाएगा।
वो बेज़ुबान हवाई जहाज़ जब तक रहेगा अपने आपको बेगुनाह मासूमों की क़त्ल का ज़िम्मेदार मानता रहेगा।वो इंसानों की ग़ुलाम बेज़ुबान बंदूक़ और तोपें जिनकी गोली से बेगुनाहों का क़त्ल हुआ कितना रोयी होंगी।उस बेज़ुबान हवाई जहाज़, बन्दूक और तोपों के दर्द को ताक़त के नशे में अंधी दुनिया शायद ही महसूस कर पाए।
अफगानिस्तान एक आधुनिक सोच वाला बहुत ही खूबसूरत देश था। कुछ मुट्ठी भर लोगों ने एक खूबसूरत मुल्क को तबाह कर दिया। कुछ मुट्ठी भर लोगों से भी पूरी दुनिया के ताकतवर मुल्क मुक़ाबला नहीं कर पाये। पूरी दुनिया की आर्थिक और सामरिक ताक़त टाँय टाँय फ़ुस्स हो गयी और केवल ज़ुबानी ताक़त बन के रह गई। पूरी दुनिया जो अपने आपको ताकतवर बोलती है रातों रात उसको तड़पता हुआ, मरता हुआ छोड़ कर भाग गयी।
यूक्रेन में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है। सारी दुनियाँ चिल्ला चिल्ला कर बोल रही थी की युद्ध निश्चित है। नाटो, अमेरिका और सभी ताकतवर मुल्क युद्ध शुरू होने से पहले यूक्रेन के पक्ष में खड़े थे और रुस को धमका रहे थे।युद्ध शुरू होते ही यूक्रेन के राष्ट्रपति श्री वलोडिमिर ज़ेलेंस्की जी चिल्ला चिल्ला कर मदद माँगते रहे लेकिन सारे ताकतवर मुल्क केवल ज़ुबानी मदद कर रहे हैं। सारे मुल्क रुस को बानरघुड़की दिखाकर यूक्रेन को मदद करने की खानापुर्ती कर रहे हैं।
हमारे पूर्वांचल में एक कहावत है की परदेशी दोस्त से लाख गुना बेहतर पड़ोसी दुश्मन होता है। पूर्वांचल में एक परम्परा है की जब गाँव के किसी दो परिवारों के बीच किसी विवाद के कारण दुश्मनी होती है तो वो 7-8 पीढ़ियों से भी ज़्यादा समय तक चलती रहती है। दोनो परिवारों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना, मिलना जुलना,खाना पीना और बात चित बन्द रहती है। लेकिन ख़ुशी और ग़म दोनो मौक़ों पर परिवार एक दूसरे के साथ खड़े रहते थे। अगर परिवार में लड़की या लड़के की शादी हो तो दुश्मन परिवार दिन रात काम में लगा रहता था।पूरी इज्जत सम्भालता था सारा काम करता था लेकिन दुश्मनी के कारण खाना नहीं खाता था। अगर कोई शोक हो जाए एक परिवार में तो दुश्मन परिवार दिन रात एक करके सम्बल देता था।
यूक्रेन और रुस में कौन सही है और कौन ग़लत है इस बात का फ़ैसला मैं नहीं कर सकता। मैं इस बात को भी नहीं बोल सकता की श्री वलोडिमिर ज़ेलेंस्की जी ही सही हैं या श्री व्लादिमीर पुतिन जी ही सही हैं। दोनो के अपने कारण और युद्ध के पीछे अपनी मजबूरियाँ होंगी।लेकिन एक बात तो तय है की कमजोर पक्ष यूक्रेन है और अपनी हार तय मान रहा है। अब ज़ेलेंस्की जी को पुतिन जी से मदद माँगनी चाहिए और पुतिन साहब को भी युद्ध बंद करके बड़ा दिल दिखाना चाहिए। दोनो देशों को एक साथ बैठ कर अपने गिले शिकवे दूर कर लेना चाहिए। इस युद्ध से दोनो देशों का बहुत नुक़सान होगा और दूर देश वाले मुल्क सिर्फ़ तमाशा देखेंगे।कुछ देश इस युद्ध में भी अपना फ़ायदा देखेंगे।
इस युद्ध में बहुत सारे निर्दोष नागरिकों और मासूमों की जान जा रही है। बहुत सारे मासूम निर्दोष लोगों का इस युद्ध में सब कुछ ख़त्म हो रहा है। हमारे भारत ने भी आप दोनो के बीच हो रहे युद्ध में शहादत दे दिया है और हमारे देश का एक होनहार युवक आप लोगों के इस युद्ध में जान गँवा चुका है। हमारे हज़ारों भारतीय बच्चे ज़िन्दगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। पहले ही क़ोरोना महामारी ने आम नागरिकों की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। महामारी से हुई तबाही से किसी तरह मानवता उबरने की कोशिश कर रही है।अब आम नागरिकों में युद्ध की एक और तबाही झेलने की ताक़त नहीं है ।
हमारा देश भारत सदियों से मानवता की रक्षा में सबसे आगे रहा है। कभी भगीरथ बन कर माँ गंगा को धरती पर लाकर, कभी दधीचि बन कर राक्षसों के नाश के लिए अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान करके, कभी परशुराम बन कर सहस्रबाहु का बध करके और पूरी धरती को 21 बार आतंक विहीन करके इसके अलावा और भी सैकड़ों उदाहरण है जहां भारत ने मानवता की रक्षा की है।
पुतिन साहब आपका राजसूय यज्ञ पूरा हो गया और आप निर्विवाद तौर पर इस दुनिया के सबसे ताकतवर नेता हैं।अपने पड़ोसी को माफ़ कर दीजिए और इस विनाश को रोक दीजिए। पूर्वांचल का एक कमजोर गरीब इन्सान आपसे हाथ जोड़कर याचना कर रहा है की इस युद्ध को बन्द कर दीजिए और मानवता को बचा लीजिए। मैं पूरी ज़िंदगी आपका क़र्ज़दार रहूँगा और ताउम्र आपको सबसे ताक़तवर नेता मानता रहूँगा।
लेखक:
रवि शंकर राय
लेखक, प्रख्यात उद्यमी होने के साथ ही सामाजिक कार्यों और लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं स्वतंत्र टिप्पणीकार के रूप में राजनीति और समाज से जुड़े विभिन्न सामाजिक विषयों पर लेखन का कार्य करते हैं