अमेरिका ने 2022 में चीन में होने वाले बीजिंग ओलम्पिक में अपने राजनयिक बहिष्कार की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के बाद अगले साल फरवरी में होने वाले शीतकालीन खेलों में अमेरिका के खिलाड़ी तो हिस्सा लेंगे लेकिन अमेरिका अपना कोई भी सरकारी अधिकारी चीन में नही भेजेगा। हालांकि अमेरिका ने यह भी कहा कि यूएसए के एथलीटों को हमारा पूरा समर्थन है, हम उनका हौसला बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत उनको सपोर्ट करेंगे। अमेरिका का यह ऐलान तब आया है जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी द्विपक्षीय वार्ता में आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने का वादा किया था।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने अमेरिका के इस फैसले का ऐलान वाइट हाउस में किया। चीन में चल रहे नरसंहार और शिनजियांग में मानवता के खिलाफ अपराध और अन्य मानवाधिकारों का हनन के बाद अमेरिका का रूख आक्रामक है। अमेरिका का मानना है कि चीन का मानवाधिकार रिकॉर्ड बहुत खाराब है जिसके फलस्वरूप अल्पसंख्यकों के साथ वहाँ खराब बर्ताव किया जाता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने भी लगभग एक माह पहले राजनयिक बहिष्कार करने के संकेत दिए थे और इसके पीछे उन्होंने वजह बताई थी कि मानवाधिकारों के लिए खड़ा होना अमेरिकियों के डीएनए में है। मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए हमारी एक मौलिक प्रतिबद्धता है और हम अपनी स्थिति में दृढ़ता से महसूस करते हैं, और हम चीन और उसके बाहर मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए कार्रवाई करना जारी रखेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई द्विपक्षीय मुलाक़ात में भी ओलम्पिक आयोजन से जुड़ा मुद्दा चर्चा का विषय नहीं था।
मानवधिकारों को लेकर विवादों में रहा चीन
चीन के विरोध में कई संगठनों और देशों का मानना है कि मानवाधिकारों के मामले में चीन की छवि दुनिया के सामने ठीक नही है। वैश्विक समुदायों के सामने चीन के मानवाधिकार हनन की लम्बी लिस्ट है फिर चाहे वह शिनजियांग में उइगर मुसलमानों पर की गई दमनकारी कार्रवाई हो या हांगकांग में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दमन जैसी नीति हो।
हाल ही में चीन में टेनिस स्टार पेंग शुआई के यौन उत्पीड़न का मामला विश्व में चर्चा का विषय बना था क्योंकि यह टेनिस स्टार सुर्ख़ियों में आने के बाद से ही लापता हो गयी है। इन्होने झांग गाओली (चीन के पूर्व उपप्रधानमंत्री) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लागाया था। लापता होने की इस घटना के बाद डब्ल्यूटीए (वुमेन टेनिस एसोशिएशन) ने भी चीन और हांगकांग में होने वाले सभी टूर्नामेंट्स को रद्द कर दिया है साथ ही विश्व के कई टेनिस खिलाडियों ने इस मुद्दें की जांच की मांग की है। यही कारण है कि चीन मानवाधिकारों की रक्षा के मुद्दें पर आलोचनाओं का सामना कर रहा है।
अमेरिका ने चीन को इस मुद्दें पर घेरने के लिए बीजिंग ओलम्पिक में राजनयिक बहिष्कार का तरीका अपनाया है इस तरह अमेरिका चीन पर वैश्विक समुदाय में एक राजनितिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। वहीं चीन ने यूएस के इस रवैये को खेलों में राजनीतिकरण करार दिया है। चीन ने अमेरिका के इस कड़े निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि अगर अमेरिका अपने इसी रूख पर कायम रहता है तो चीन भी वक्त आने पर अमेरिका को इसका करार जवाब देगा।