पंजिम : नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत जल्दी ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा तथा देश की आर्थिक वृद्धि में ऊर्जा क्षेत्र का महत्व बढ़ रहा है और देश प्राथमिक ऊर्जा के विभिन्न रूपों में प्राकृतिक गैस के उपयोग बढायेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार देश में हर जगह किफायती दर पर ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है तथा वैश्विक बाजार में उथल-पुथल के बाद भी भारत एक ऐसा देश है, जहां भी बीते दो वर्षों में पेट्रोल और डीजल के दाम कम हुये हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि देश इस समय विभिन्न प्रकार की प्राथमिक ऊर्जा जिस अनुपात में कर रहा है, उसमें प्राकृतिक गैस का अनुपात छह प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। इसके लिये पांच-छह वर्ष में सात अरब डालर का निवेश करने की योजना है। प्रधानमंत्री गोवा में आयोजित ‘भारत ऊर्जा सप्ताह 2024’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसमें दुनिया भर से आमंत्रित तेल और प्राकृतिक गैस उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
मोदी ने गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई , मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत , केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, रामेश्वर तेली और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में कहा, “ भविष्य की इन जरूरतों को देखते हुये, समझते हुये भारत अभी से तैयारी कर रहा है।” उन्होंने दुनिया भर से जुटे इस उद्योग के प्रतिनिधियों को आपस में उन्नत प्रौद्योगिकीय सहयोग करने , एक-दूसरे से सीखने और स्वस्थ ऊर्जा के स्रोतों के विकास में सहयोग करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन ऐसे समय हो रहा है जबकि चालू वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में ही, भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर साढ़े सात फीसदी से अधिक रही है और यह पहले के अनुमानों से बहुत अधिक है।
उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था है और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का अनुमान है “ हम ऐसे ही तेज गति से आगे बढ़ेंगे।” उन्होंने कहा , ‘आज पूरी दुनिया के एक्सपर्ट ये मान रहे हैं कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। भारत की आर्थिक वृद्धि की इस गाथा में ऊर्जा क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण है, स्वाभाविक रूप से उसका महात्मय बढ़ रहा है।”
उन्होंने कहा कि ऊर्जा की खपत के मामले में भारत पहले ही विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एनएनजी आयातक , चौथा सबसे बड़े तेल शोधनकर्ता और चौथा सबसे बड़ा वाहन विनिर्माता हैवाले देश हैं। भारत इस समय 25.4 करोड़ टन वार्षिक शोधन क्षमता के साथ पहले ही विश्व के सबसे बड़े तेल शोधनकर्ताओं में से एक हैं। उन्होंने कहा, “ हमने 2030 तक भारत की रिफाइनिंग कैपेसिटी को 45 करोड़ टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारत पेट्रो रसायन और अन्य तैयार पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में भी एक बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती मांग के बीच भारत, देश के हर कोने में किफायती ऊर्जा की उपलब्धता को भी सुनिश्चत कर रही है। उन्होंने कहा भारत ऐसा देश है, जहां अनेक वैश्विक कारणों के बाद भी बीते दो सालों में पेट्रोल और डीजल के दाम कम हुये हैं। इसके अलावा भारत ने 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी कवरेज हासिल करते हुये बिजली को करोड़ों घरों तक पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों के कारण ही आज भारत विश्व के मंच पर ऊर्जा क्षेत्र में इतना आगे बढ़ रहा है। भारत ना सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि विश्व के विकास की दिशा भी तय कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पुन:प्रयोग की अवधारणा पर आधारित चक्रीय अर्थव्यवस्था भारत की प्राचीन परंपरा का हिस्सा रही है।
पिछले वर्ष जी-20 समिट में हमने जिस वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू किया था, वह हमारी इसी भावना का प्रतीक है। बहुत कम समय में ही, 22 देश और 12 इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन इससे जुड़ गये हैं। इससे पूरे विश्व में जैव के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा। इससे करीब 500 अरब डॉलर की आर्थिक संभावनाओं को बनाने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आज भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के कारण भारत जल्द ही हाइड्रोजन प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट का केंद्र बनने वाला है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है, भारत का ग्रीन एनर्जी क्षेत्र निवेशकों और उद्योगों, दोनों को सुनिश्चित सफलता देने वाला क्षेत्र बना सकता है। ”