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योग विद्यार्थी बने विश्व में भारतीय चिकित्सा पद्धति के दूत

नई दिल्ली : सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को कहा कि योग विद्यार्थियों काे विश्व में भारतीय संस्कृति का दूत बनाना चाहिए जिससे लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का ‘दवा रहित निदान’ की सेवायें प्रदान की जा सके। सोनोवाल ने यहां मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान में योग चिकित्सा के विस्तारित एवं नये सुविधा केंद्र का उद्घाटन करने के बाद योग विद्यार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि दुनिया वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझ रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में अपना विस्तारित केंद्र खोला है और भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों काे विशेष स्थान देकर उनके अध्ययन की व्यवस्था की है। यह इसका प्रतीक है कि विश्व स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। योग विद्यार्थियों को इसका लाभ उठाना चाहिए और लोगों को दवा रहित निदान की सेवायें प्रदान करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि योग चिकित्सा पद्धति पर शोध किया जाना चाहिए और छात्रों को इसमें प्रवीणता अर्जित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में योग शिक्षकों की भारी मांग है और छात्रों को इसका लाभ उठाकर भारतीय संस्कृति का दूत बनना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योग के माध्यम से स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता पैदा करनी चाहिए और उन्हें योग के लाभ के प्रति सचेत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष पहले भारत के ऋषि मुनियों ने गहन साधना के माध्यम योग पद्धति विकसि की है जिसे विश्व के कोने कोने में पहुंचाया जाना चाहिए। इस अवसर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति और पदमश्री डा रविंद्र कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के हस्तलिखित पत्र भी सोनोवाल को भेंट किये। संस्थान के निदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि देश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के योग चिकित्सा केंद्र खोले जा रहे हैं जिनसे आम जनता को लाभ हो रहा है।

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