नैनीताल : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को जारी अपने महत्वपूर्ण निर्णय में वर्ष 2014 में देहरादून के चकराता घूमने आये बंगाली जोड़े की हत्या के दोषी चारों अभियुक्तों को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने कुछ दिन पहले इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था और सोमवार को दोपहर भोजनवकाश के बाद जारी किया।
मामले के अनुसार कोलकाता निवासी अभिजीत पाल और मोमिता दास वर्ष 2014 को दिल्ली से देहरादून घूमने आये थे। अगले दिन चकराता के टाइगर फॉल गये थे ओर यहां दोनों लापता हो गये। परिजनों ने दिल्ली के लाडो सराय थाना में गुमशुदगी दर्ज करायी। पुलिस ने जांच शुरू की। कुछ दिन बाद दोनों के शव बरामद कर लिये गये।
पुलिस सर्विलांस की मदद से राजू दास तक पहुंची और उसके कबूलनामे पर तीन अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही चारों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने वर्ष 2018 में राजू दास को फांसी तथा उसके तीन अन्य साथियों को उम्र कैद की सजा सुनायी। अभियुक्तों की ओर से सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।
अभियुक्तों की ओर से सुनवाई के दौरान पुलिस जांच और तथ्यों पर सवाल उठाये गये। यह भी कहा गया कि जांच में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। पुलिस ने जल्दबाजी में जांच पूरी की है और पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुटाये गये। यही नहीं पुलिस जांच में विरोधात्मक तथ्य हैं। अदालत ने आज जारी निर्णय में चारों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।