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वाराणसी से दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन तक रेलमार्ग पर गंगा नदी पर रेल सह सड़क पुल को मंजूरी

नई दिल्ली : सरकार ने वाराणसी से दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन तक रेलमार्ग पर गंगा नदी पर एक रेल सह सड़क पुल बनाने को बुधवार को मंजूरी दे दी जिसकी कुल अनुमानित लागत 2642 करोड़ रुपए होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस परियोजना को मंजूरी दी गयी। उत्तर प्रदेश के दो जिलों को कवर करने वाली इस परियोजना से भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क लगभग 30 किलोमीटर बढ़ जाएगा।
रेल, सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। इस परियोजना में दो मंजिला पुल में ऊपर के डेक पर छह लेन की सड़क तथा निचले डेक पर चार रेल लाइनें बनायी जाएंगीं। इस प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना परिचालन को आसान बनाएगी और भीड़भाड़ को कम करेगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढाँचागत विकास उपलब्ध होगा।
यह परियोजना उत्तर प्रदेश में वाराणसी और चंदौली जिलों से होकर गुजरती है। वाराणसी रेलवे स्टेशन, भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ता है और तीर्थयात्रियों, पर्यटकों तथा स्थानीय आबादी के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। यात्री और माल ढुलाई दोनों के लिए महत्वपूर्ण वाराणसी – पं.दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) जंक्शन मार्ग, कोयला, सीमेंट और खाद्यान्न जैसे सामानों के परिवहन के साथ-साथ बढ़ती पर्यटन और औद्योगिक मांगों को पूरा करने में अपनी भूमिका के कारण भारी भीड़ का सामना करता है। इस मुद्दे के समाधान के लिए, बुनियादी ढांचे के उन्नयन की आवश्यकता है, जिसमें गंगा नदी पर एक नया रेल-सह-सड़क पुल और तीसरी और चौथी रेलवे लाइनें शामिल हैं।
इन संवर्द्धनों का उद्देश्य क्षमता, दक्षता में सुधार करना और क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक वृद्धि का समर्थन करना है। भीड़भाड़ से राहत के अलावा, प्रस्तावित खंड पर सालाना 278.3 लाख टन माल ढुलाई का अनुमान है। यह परियोजना प्रधानमंत्री के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगी जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने और कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन (149 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा, जो छह करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर है।

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