नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा सरकार को अंबाला के पास 13 फरवरी से बंद शंभू बॉर्डर से पुलिस बैरिकेडिंग हटाकर यातायात सभी के लिए खोलने का शुक्रवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार को यह निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने10 जुलाई को राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर अंबाला के पास शंभू बॉर्डर खोलने का निर्देश दिया था, जिसे फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की ओर कूच करने से रोकने के लिए सरकार ने बंद कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार की ओर से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सात मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय की ओर से फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान किसान 21 साल के शुभकरण सिंह की मौत की जांच के लिए एक पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।
शीर्ष अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष कहा कि राज्य सरकार 10 जुलाई को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हरियाणा सरकार से पूछा, “राज्य हाईवे को कैसे रोक सकता है? उसका कर्तव्य है कि वह यातायात को नियंत्रित करे। हम केवल इसे खोलने के बारे में नहीं कह रहे, बल्कि नियंत्रित करने के बारे में भी कर रहे हैं।”
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) की ओर से किसानों के दिल्ली कूच की घोषणा के बाद हरियाणा सरकार की ओर से फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगा दिए थे। किसानों का यह आंदोलन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर चल रहा है है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और न्यायमूर्ति विकास बहल की खंडपीठ ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड हटाने का निर्देश दिया था। साथ ही, कहा था कि आम जनता को असुविधा नहीं होनी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बॉर्डर को तत्काल खोला जाना चाहिए। हरियाणा सरकार को किसानों से बातचीत कर उनकी शिकायतें सुननी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से मौखिक रूप से कहा, “आप किसानों से बातचीत करने से क्यों कतरा रहे हैं? उनसे बात करें और अगर वे अपनी मांगों को लेकर अभी भी प्रदर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें सुविधाएं प्रदान करें।”
उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई के अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया था कि हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर को खोलने का उसका निर्देश सभी नागरिकों के लिए, न कि किसी विशेष वर्ग तक सीमित है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शंभू बॉर्डर को आम जनता, खास तौर पर व्यापारियों, डिपार्टमेंटल स्टोर मालिकों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए खोलने के लिए स्पष्टीकरण और निर्देश देने की गुहार लगाई थी। श्री शांडिल्य ने यह भी कहा कि “खनौरी बॉर्डर (पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने का एक और बॉर्डर प्वाइंट) भी बंद है।” उच्च न्यायालय ने हालांकि कहा, “पहले उन्हें शंभू खोलने दें, हम खनौरी को भी खोलने के लिए कहेंगे।”