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भारत में उच्च शिक्षा

मनीष व्यास

लेखक, तीन दशक से अधिक समय सेफिल्म विधा के विभिन्न क्षेत्रों यथा- अभिनय,लेखन, निर्देशन में सक्रिय हैं। कहानी,पटकथा, संवाद लेखन के साथ ही अनुवादक के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। निर्माण-निर्देशन और अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय रहने के दौरान अब तक हिन्दी, बंगाली और भोजपुरी के अनेक प्रोजेक्ट (फीचर फिल्म, टीवी सीरियल, टेली फिल्म, विज्ञापन फिल्म, डॉक्युमेंट्री फिल्म, कॉर्पोरेट फिल्म, लघु फिल्म और रंगमंच आदि) में महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं।

‘‘जिस प्रकार अन्धकार को दूर करने के लिए प्रकाश की जरूरत होती है, उसी प्रकार, अज्ञानता को दूर करने के लिए ज्ञान प्राप्त करना या शिक्षा ग्रहण करना अत्यंत ही आवश्यक है। और, वैसे ये कहा भी जाता है कि, ज्ञान वह अथाह स़ागर है, जिसमें जितनी डुबकी लगाई जायें कम हैं।’’ अर्थात जितना ज्ञान प्राप्त किया जाय कम है। यानि कि हम जितनी ज्यादा उच्च शिक्षा ग्रहण करेंगे, उतना ही ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर कर सकेंगे। इसलिए, ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने के लिए, उच्च शिक्षा ग्रहण करना या उच्च शिक्षित होना अत्यंत ही आवश्यक है। परन्तु, आज के मौजूदा परिवेश में उपभोक्तावाद संस्कृति और उसके व्यवसायिकरण के साथ-साथ एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में उच्च शिक्षा ग्रहण करना, महज ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं रह गया है, बल्कि उसके साथ-साथ, ज्यादा से ज्यादा रुपए कमाना, किसी बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी, बहुराष्ट्रीय कंपनी और विदेशी कंपनी में नौकरी करना भी महत्वपूर्ण हो गया है। विदेश में जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करना आजकल सम्मानजनक और सफलता का प्रतीक माना जाता है ठीक वैसे ही जैसे विदेश में जाकर नौकरी करना और ज्यादा से ज्यादा रुपए कमाना। जबकि, सदियों पहले, फाहियान और ह्वेनसांग जैसे विदेशी हमारे देश भारत में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए समय-समय पर आते रहे हैं। हैं। नालन्दा विश्वविद्यालय और तक्षशिला विश्वविद्यालय अपने समय के उच्च शिक्षा ग्रहण करने के महत्वपूर्ण शिक्षण केन्द्र रहें हैं। उस दौर में हमारा भारत विश्व गुरु और सोने की चिड़िया कहलाता था। कालांतर में कई विदेशी आक्रमणों, मुगलों और अंग्रेजों की साजिशों के तहत हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ हमारी वैदिक शिक्षा पद्धति एवं हमारे गुरुकुल तथा नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थानों पर कुठाराघात कर उन्हें विध्वन्स कर लुप्तप्राय करने के बावजूद भी  हमारे देशवासियों ने अपनी सभ्यता  और संस्कृति को बरकरार रखते हुए विदेशी संस्कृति और विदेशी शिक्षा को सहजता से अपनाकर अपनी सहिष्णुता का परिचय देते हुए, अपने ज्ञान का विस्तार किया और हमेशा की तरह आज भी खुद को हर क्षेत्र में अव्वल साबित किया, उच्च शिक्षा ग्रहण कर। 

कर। फिर चाहे, शिक्षा के क्षेत्र में हो या फिर, वाणिज्यिक/औद्यौगिक/व्यवसायिक क्षेत्र हो या फिर, तकनीकी और विज्ञान का क्षेत्र हो, या फिर, कला-संस्कृति, चलचित्र जगत का क्षेत्र हो या फिर, साहित्य और लेखन का क्षेत्र हो या फिर, पत्रकारिता एवं मीडिया तथा दूरसंचार माध्यम का क्षेत्र हो, या फिर ज्योतिष शास्त्र, हस्त-शास्त्र और अंक शास्त्र का क्षेत्र हो, या फिर, हस्त शिल्पकला, मूर्तिकला और चित्रकला के क्षेत्र में हो, या फिर कम्प्यूटर के क्षेत्र में हो, या फिर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो, या फिर चिकित्सा के क्षेत्र में हो, या फिर कानून के क्षेत्र में हो, या फिर राजनीति के क्षेत्र में हो, या फिर, खेल जगत के क्षेत्र में हो, या फिर पाक-शास्त्र के क्षेत्र में हो या फिर कृषि के क्षेत्र में हो, या फिर ध्यान-योग साधना के क्षेत्र में हो। चाहे किसी भी क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण करना हो, हमारे देशवासियों ने सदैव उसमें सफलता अर्जित कर हमारे देश का सिर ऊंचा कर उसे गौरवान्वित किया है। समय-समय पर कुछ ऐसी महान विभूतियां भी हुई हैं हमारे देश में, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए संयम और लगन के साथ, अपने-अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण कर हमारे देश को विश्व पटल पर गौरवान्वित तो किया ही है, साथ ही साथ दूसरों के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर, सदैव उनका मार्गदर्शन भी किया है, अपने गुणों से और अपने द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों से। और जिन-जिन लोगों ने इन महान विभूतियों को अपना आदर्श मानकर उनका अनुसरण कर, अपने-अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण की, उन सबने भी अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के साथ-साथ यश और कीर्ति अर्जित कर औरों के लिए एक मिसाल कायम की और अपने घर-परिवार का, समाज का और देश का नाम विश्व पटल पर रौशन किया, और करते चले आ रहे हैं। उन में से कुछ विशिष्ट महान विभूतियों के नाम इस प्रकार हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हुए अपने-अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण की और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर हमारे देश का नाम पूरे विश्व में रौशन किया और हमेशा के लिए अमर हो गए। उदाहरण के तौर पर- स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, जगदीश चन्द्र बसु, सी.वी. रमन, पंडित मदन मोहन मालवीय, बालगंगाधर तिलक, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, नेताजी सुभाषचद्र बोस, मोहनदास करमचंद गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, विनोबा भावे, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मौलाना अबुल कलाम आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, सरोजिनी नायडू, मुन्शी प्रेमचंद, रामचंद्र शुक्ल, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, कवि प्रदीप, दादा साहेब फाल्के, व्ही शांताराम, अमृता प्रीतम, महाश्वेता देवी, जैनेन्द्र, बिमल मित्र, सलिल चौधरी, हिमांशु राय, बिमल रॉय, कवि नीरज, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, बेगम अख़्तर, सितारा देवी, नौशाद, शंकर जयकिशन, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, आशा भोसले, पृथ्वी राज कपूर, के.एल. सहगल, मुकेश, किशोर कुमार, देविका रानी, तलत महमूद, मौहम्मद रफी, दुर्गा खोटे, महबूब खान, बी.आर.चोपड़ा, गुरुदत्त, अशोक कुमार, बलराज साहनी, चेतन आनंद, देव आनंद, राज कपूर, दिलीप कुमार, भीष्म साहनी, पंडित भीमसेन जोशी, बिस्मिल्लाह खान, गोपी किशन, पंडित बिरजू महाराज, राकेश शर्मा, कल्पना चावला, जमशेदजी टाटा,  घनश्याम दास बिड़ला, नारायण मूर्ति, सुधा मूर्ति, धीरू भाई अम्बानी, मेजर ध्यान चन्द, दारा सिंह, मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा, मैरी कॉम, सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, अशोक अमृतराज, विजय अमृतराज, प्रकाश पादुकोण, महेश भूपति, लिएंडर पेस, विश्वनाथन आनंद, शेरपा तेनजिंग, बछेंन्द़्री पाल जैसे और भी अनगिनत प्रतिभाशाली और प्रसिद्ध नाम हैं, उन्होंने समय-समय पर विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर अपने-अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण कर सफलता प्राप्त की और दूसरों के लिए प्रेरणा दायक बन कर हमारे देश को गौरवान्वित किया। अलग-अलग क्षेत्रों में उच्च शिक्षा या दक्षता ग्रहण कर सफलता प्राप्त करके देश-विदेशों में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाली उपरोक्त महान विभूतियों के नामों का जिक्र करने का आशय उच्च शिक्षा या दक्षता के महत्व और उससे मिलने वाले ज्ञान, मान-सम्मान और प्रसिद्धि के महत्व को दर्शाने के साथ ही ये समझाना है कि उच्च शिक्षा या किसी क्षेत्र में दक्षता ग्रहण करना हमारे लिए कितना जरूरी और आवश्यक है।  और वर्तमान में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है कि, आजकल के दौर में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का चलन युवा पीढ़ी में बहुतायत बढ़ रहा है। अभिभावक भी जागरूक होकर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए हरसंभव  पुरजोर कोशिश करते हैं, तन-मन-धन से। अगर यही सिलसिला जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब फिर से, हमारा देश भारत शिक्षा के साथ-साथ हर क्षेत्र में अव्वल आकर विश्व गुरु बन जायेगा।