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हमारी सोच से परे मेटावर्स की दुनिया

डॉ. दुर्गेश शर्मा

वरिष्ठ सलाहकार, फ्यूचर सिटी आईएनसी

अब तक आप यूनिवर्स को देखते समझते और इसके अनगिनत रहस्यों में उलझते चले आए होंगे, लेकिन क्या कभी आपने एक नई और मानव निर्मित अनोखी दुनिया मेटावर्स के बारे में सुना है, जहाँ वह सब कुछ मौजूद होगा जो आप सोचते हैं, चाहे वह बीते जमाने की चीजें और इंसान ही क्यों न हों। मेटावर्स कम्प्यूटर सिमुलेशन द्वारा तैयार की गयी एक ऐसी आभासी दुनिया होगी, जहाँ पर आपको चीजें बिलकुल असली दुनिया की तरह दिखाई पड़ेंगी। दूसरे शब्दों में, मेटावर्स एक ऐसी काल्पनिक दुनिया होगी। जहां एडवांस एआई टेक्नॉलजी, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी टेक्नोलॉजी को एक साथ मिश्रित कर के लोगो को वास्तविक दुनिया की तरह एहसास कराया जायेगा। मेटावर्स को सोशल मीडिया का एडवांस्ड वर्जन भी कहा जा रहा है। वर्तमान समय में हम लोग अपने मित्रों या पारिवारिक सदस्यों से वीडियो कॉल और चैटिंग करने के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर रहे हैं। 

मीटिंग्स के लिए गूगल मीट या जूम ऍप का बहुतायत उपयोग हो रहा है, लेकिन हमें हमेशा यही एहसास होता है की हम लोग अपने दोस्तों या पारिवारिक सदस्यों से दूर रहकर ये सब कर रहे है। मेटावर्स तकनीक हम सबको पास होने का एहसास दिलाएगी भले ही हम दुनिया के किसी कोने में ही क्यों ना हों। अगर आप मेटावर्स को समझना चाहते हैं तो पहले आपको वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) को समझना होगा वर्चुअल रियलिटी या आभाषी वास्तविकता तकनीक कि सहायता से निर्मित एक ऐसी काल्पनिक दुनिया है, जहाँ हम वर्चुअल रियलिटी हेड सेट नामक उपकरण की सहायता से आभासी दुनिया में प्रवेश करते हैं इसमें 3डी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जिससे यूजर को आभासी एनवायरनमेंट वास्तविक लगने लगता है। ज्यादातर इस तकनीक का उपयोग वीडियो गेम्स और मूवीज में किया जाता रहा है। ऑगमेंटेड रियलिटी में आवाज और दृश्य के माध्यम से कंप्यूटर द्वारा एक ऐसा एनवायरनमेंट तैयार किया जाता है। जहाँ मानव के दिमाग को कल्पित दुनिया का वास्तविक अनुभव करवाया जा सके वर्चुअल रियलिटी हेडसेट को लगाते ही इंसान वर्चुअल रियलिटी की इस आभासी दुनिया में मानसिक रूप से प्रवेश कर जाता है। इस आभासी दुनिया में वह चल भी सकता है, उसमे मौजूद वस्तुओं को छू सकता है। वर्चुअल रियलिटी हेडसेट को उतारते ही इंसान पुन:वास्तविक दुनिया में पहुँच जाता है। अगर आपने द जंगल बुक फिल्म को 3डी चश्मे के साथ सिनेमा हॉल में देखा है तो आप इसको अच्छी तरह समझ सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में वर्चुअल रियलिटी तकनीक ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज हम जटिल से जटिल सिद्धांतों को इस तकनीक द्वारा बड़ी ही आसानी से समझ सकते हैं। वर्चुअल रियलिटी ने मानव जीवन को आसान तो बनाया ही है साथ ही साथ मानव जीवन के जोखिमों को काफी हद तक कम भी किया है। फ्लाइट सिमुलेशन के माध्यम से एरोप्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग हो या मानव शरीर की जटिल संरचना को समझना हो आज हर जगह वर्चुअल रियलिटी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में वर्चुअल रियलिटी ने तो क्रांति ही ला दी है। इस वर्चुअल रियलिटी की वजह से ही आज महंगे से महंगे मेडिकल कार्यों का प्रशिक्षण देना भी संभव हो पाया है। ऑगमेंटेड रियलिटी तो वर्चुअल रियलिटी का भी एडवांस वर्जन है, जिसमे आभासी डाटा के साथ वास्तविक डाटा का भी इस्तेमाल किया जाता है। अर्थात ऑगमेंटेड रियलिटी में काल्पनिकता को वास्तविकता के साथ जोड़ दिया जाता है। ऑगमेंटेड रियलिटी Recognition अल्गोरिथम तकनीक पर आधारित है, जिसमे ऑगमेंटेड रियलिटी डिवाइस ऑडियो, वीडियो,ग्राफिक और दूसरे इनपुट सेंसर के माध्यम से इनपुट ग्रहण करता है, फिर उन्हें वर्चुअल दुनिया के साथ ऐसे जोड़ देता है कि वर्चुअल तत्व भी वास्तविक नजर आने लगता है। अगर आप Android  मोबाइल उपयोग करते हैं तो गूगल मैप एैप में ऑगमेंटेड रियलिटी लाइव व्यू नेविगेशन फीचर का आनंद उठा सकते हैं इसमें जीपीएस से कैप्चर किये गए रियल लोकेशन डाटा के ऊपर आभासी Arrows को मिक्स किया गया है ,जिससे की यूजर को किसी भी गंतव्य स्थान पे जाने का उस समय का सबसे बेहतरीन मार्ग मिले।ऑगमेंटेड रियलिटी का उपयोग निर्माण कार्यो के ब्लू प्रिंट में भी किया जाता है, जिसमे बन रहे घर के डिजाइन को ग्राहकों के साथ पहले ही साँझा किया जा सके और आवश्यकता पड़ने पर इस डिजाइन को बदला भी जा सके। आज ऑगमेंटेड रियलिटी की मदद से ऊँची-ऊँची गगनचुम्बी इमारतों को बनाना काफी आसान सा हो गया है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस को कृत्रिम बुद्धिमता कहा जाता है। कृत्रिम शब्द का अर्थ है इंसान द्वारा निर्मित और इंटेलिजेंस शब्द का अर्थ है सोचने कि शक्ति एआई कंप्यूटर साइंस की एक ऐसी शाखा है। जो ऐसे मशीन को ऐसे विकसित कर रही है की वो इंसान की तरह सोच सके और काम कर सके। इसके लिए मशीन के अंदर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की जाती है ताकि मशीन के अंदर इंटेलिजेंस विकसित हो जाये। आज आप विकसित देशों जैसे अमेरिका या जापान में एआई तकनीक का सामान्य रूप से इस्तेमाल होते देख सकते हैं अगर आप एआई तकनीक को जानना चाहते हैं तो जापान में स्थित हेन-ना होटल विजिट कर सकते हैं, जहाँ सामान ढ़ोनें से लेकर खाना परोसने तक का काम रोबोट ही करते हैं। आज हम लोग एआई तकनीक पर आधारित चैटबॉट का बहुतायत में प्रयोग करने लगे हैं । ये चैटबोट्स कॉल सेंटर्स की जरूरतों को सिमित करते जा रहे हैं।  आज अगर आप कोई स्टार्ट-अप शुरू करते हैं तो 90% तक ग्राहकों को अपने प्रश्नो का जवाब इन चैटबोट्स से ही मिल जाता है। आपको ग्राहकों के प्रश्नो का जवाब देने के लिए अलग से कर्मचारी रखने की आवश्यकता नहीं होगी। ये चैटबोट्स समय के साथ अपने आपको अपडेट भी करते रहते हैं जैसे-जैसे ये ग्राहक के साथ बात करते हैं वैसे-वैसे ये और भी ज्यादा स्मार्ट होते जाते हैं। ये ग्राहक से बात कर-कर के सीखते हैं और अपने जवाब देने की शुद्धता को भी बढ़ाते हैं। आज अमेजन की एलेक्सा, गूगल का असिस्टेंट चैटबॉट का प्रयोग बहुतायत से हो रहा है। ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, आर्टिफीसियल इंटेलिजेस के जब इतने फायदे हैं तो इन सबको मिलाकर बनायी हुयी तकनीक मेटावर्स के फायदे की तो हम आज कल्पना मात्र ही कर रहे हैं। कंप्यूटर की अग्रणी कंपनियों जैसे फेसबुक, एप्पल, गूगल में आने वाले दिनों में मेटावर्स के क्षेत्र में होड़ लगने वाली है। मेटावर्स से प्रभावित होकर फेसबुक, व्हाट्सप्प, इंस्टाग्राम जैसी दिगज कंपनियों के सीईओ मार्क्स जुकरबर्ग ने तो अपनी पैरेंट कंपनी का नाम ही मेटा रख दिया है। आने वाले दिनों में मेटावर्स आपको विभिन्न अवतारों के रूप में नजर आयेगा। यहाँ अवतार का अर्थ 3डी रिप्रजेंटेशन से है। मेटावर्स का उपयोग करनें वाले लोग अपने अवतार को अपने हिसाब से कस्टमाइज कर सकेंगे। जब यह तकनीक अपने चरमोत्कर्ष पर होगी तब इस प्लेटफॉर्म के अन्दर आपके अवतार दूसरे अवतार से बातचीत करने में भी पूर्ण रूप से सक्षम होंगे। आप वास्तविक रूप में तो अपने घर पर उपस्थित रहेंगे परन्तु आप डिजिटल यंत्रों  की सहायता से आभासी दुनिया की सैर कर रहे होंगे। मेटावर्स अभी अपनी शैशवावस्था में है, आने वाले समय में मेटावर्स तकनीक का बहुतायत उपयोग होगा  मेटावर्स तकनीक मानव जीवन के विकास में अग्रणी भूमिका निभाए, यह हम सबको अभी से यह सुनिश्चित करते हुए ही इस तकनीक को आगे बढ़ाना होगा। अन्यथा मानव विकास के लिए बनाया गया मेटावर्स कब मानवता का समूल नाश कर देगा हमे पता भी नहीं चलेगा।