नासा द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए अब तक के सबसे शक्तिशाली जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने कई वर्षों के बाद नेपच्यून की सबसे स्पष्ट इमेज ली है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने अपनी इन्फ्रारेड इमेजिंग क्षमताओं का उपयोग करके सौरमंडल के अंतिम छोर पर मौजूद ग्रह को एक ताजा रोशनी में दिखाने का प्रयास किया। इससे पहले 1989 में जब मानव निर्मित वॉयेजर 2 उपग्रह इस ग्रह के पास से गुजरा था तब इस तरह की धुंधली तस्वीरें नासा के वैज्ञानिकों को मिल पाई थी। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने नेप्च्यून के चारो और शनि ग्रह की तरह हलके धूल भरे संकीर्ण छल्लों की साफ़ तस्वीरें ली। नेप्च्यून सिस्टम विशेषज्ञ और जेम्स वेब के लिए अंतःविषय वैज्ञानिक हेइडी हैमेल ने नासा की वेबसाइट पर कहा, “तीन दशक हो गए हैं जब हमने आखिरी बार इन धुंधले, धूल भरे छल्लों को देखा था”, और यह पहली बार है जब हमने उन्हें इन्फ्रारेड में देखा है।”

जेम्स वेब टेलीस्कोप में नेपच्यून के चंद्रमा भी हुए कैप्चर
नेपच्यून बाहरी सौर मंडल में स्थित है और पृथ्वी की तुलना में सूर्य से 30 गुना दूर है. नेपच्यून की खोज खगोलविदों ने 1846 में की थी। नासा का कहना है कि हमारे सूर्य से नेप्च्यून की अत्यधिक दूरी का मतलब है कि ग्रह पर उच्च दोपहर “पृथ्वी पर एक मंद धुंधलके के समान है। वॉयेजर और हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा पहले ली गई तस्वीरों में ग्रह नीला दिखाई देता है ऐसा नेप्च्यून के मीथेन वातावरण में लाल और इन्फ्रारेड प्रकाश के मिल जाने के कारण होता है। लेकिन जेम्सवेब का नियर-इन्फ्रारेड कैमरा (NIRCam) 0.6 से 5 माइक्रोन तक की नीयर इन्फ्रारेड रेंज में वस्तुओं को कैप्चर करता है, इसलिए नेपच्यून वेब नई तस्वीर में नीला नही दिखाई दिया। जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा ली गई तस्वीर में नेप्च्यून के 14 ज्ञात चंद्रमाओं में से सात चंद्रमाओं की तस्वीरे भी केप्चर हुई है, जिसमें इसका सबसे बड़ा, ट्राइटन भी शामिल है। आप उन्हें नीचे इमेज में देख सकते हैं। ट्राइटन चंद्रमा के बारे में नासा ने कहा कि यह जमी हुई संघनित नाइट्रोजन की वजह से औसतन 70% सूरज की रोशनी को दर्शाता है। जेम्स वेब के इन्फ्रारेड इमेजिंग तकनीक से देखने पर मीथेन की वजह से ग्रह का अतिरिक्त वातावरण दिखाई नही दे रहा है जिसकी वजह से तस्वीर में ट्राइटन चंद्रमा बहुत दूर दिखाई दे रहा है।
नेप्च्यून के चंद्रमा ट्राइटन और कुइपर बेल्ट का संबंध
वैज्ञानिकों का मानना है कि ट्राइटन चंद्रमा नेप्च्यून की एक असामान्य पिछड़ी (प्रतिगामी) कक्षा में परिक्रमा करता है, व्यवहार से पता चलता है कि यह कुइपर बेल्ट से अलग होकर आया हिस्सा भी हो सकता है – (कुइपर बेल्ट हमारे बाहरी सौर मंडल में चट्टान, बर्फ, धूमकेतु और बौने ग्रहों का एक समूह को कहा जाता है)। – वैज्ञानिकों का मत है कि ट्राइटन को नेप्च्यून ने गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा अपनी कक्षा के करीब खींच लिया होगा। जेम्स वेब टेलिस्कोप की टीम आने वाले वर्षों में नेपच्यून के आगे के अध्ययन के लिए भी दूरबीन का उपयोग करने की योजना बना रही है।

जेम्स वेब टेलिस्कोप मिशन नासा, यूरोपीय और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से किया गया है. इस टेलिस्कोप को दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था। टेलीस्कोप का उपयोग मुख्य रूप से ब्रह्मांड की गहराई का पता लगाने के लिए किया जा रहा। वैज्ञानिकों की टीम नेप्च्यून और ज्यूपिटर जैसे ग्रहों के अध्ययन लिए टेलीस्कोप की शक्तिशाली तकनीक का उपयोग करने का अवसर भी तलाश रही है, उन्हें इस तरह से दिखाने का प्रयास कर रही है जैसे हमने उन्हें पहले कभी नहीं देखा है।