शोध से पता चलता है की अधिक असमानता विकास की अवधि में बाधा डालती है। हाल ही में बीती 18 मई को आर्थिक सलाहकार परिषद (ईकॉनोमिक एडवाइजरी काउंसिल टू द प्राइम मिनिस्टर) यानी ईएसी-पीएम द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता को दर्शाया गया है, आइए समझते हैं आर्थिक असमानता क्या है? और ईएसी-पीएम क्या है, तथा इसके द्वारा जारी रिपोर्ट, साथ ही साथ आर्थिक असमानता को दूर करने के कुछ उपाय-
ईएसी-पीएम क्या है
यह संवैधानिक व्यवस्था से इतर एक अस्थायी और स्वतंत्र निकाय है। जो भारत सरकार, विशेष रूप प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने के लिए गठित किया गया है।
ईएसी-पीएम के कार्य
परिषद देश के सामने आने वाले प्रमुख आर्थिक मुद्दों को तटस्थ दृष्टिकोण से भारत सरकार के समक्ष उजागर करने का कार्य करती है। साथ ही साथ यह प्रधानमंत्री को मुद्रास्फीति, सूक्ष्म वित्त और औधोगिक उत्पादन जैसे आर्थिक मुद्दों पर सलाह देती है तथा भारत की अर्थव्यवस्था की समीक्षा पर रिपोर्ट जारी करती है।
संगठन
ईएसी-पीएम का नेतृत्व अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, वर्तमान में इसके अध्यक्ष विवेक देबरॉय हैं। इसके सदस्यों की निश्चित संख्या परिभाषित नहीं है।
वर्तमान में चर्चा का कारण
18 मई 2022 को भारत में असमानता की स्थिति रिपोर्ट ईएसी-पीएम द्वारा जारी की गई है। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य, शिक्षा, घरेलू विशेषताओं और श्रम बाजार के क्षेत्रों में असंयंताओं पर जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष एक प्रतिशत की कमाई निचले 10 प्रतिशत की तुलना में 3 गुनी अधिक है।
इसमें आगे बताया गया है कि वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2020 तक के सर्वेक्षणों के दौरान कुल आय में शीर्ष एक प्रतिशत की हिस्सेदारी में सिर्फ बढोत्तरी ही हुई है, जबकि निचले 10 प्रतिशत की आय घट रही है।
रिपोर्ट के अनुसार पीएलएफएस 2019-20 के आय के आंकड़ों से पता चलता है कि 25000 रुपये का मासिक वेतन पाने वाले वेतन वर्ग के शीर्ष 10 प्रतिशत में आते हैं, जो कि कुल आय का लगभग 30-35 प्रतिशत है। भारत में 10 प्रतिशत आबादी राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत अर्जित करती है।
एक प्रतिशत अमीरों की आय देश की कुल आय के 22 फीसदी के बराबर -विश्व असमानता रिपोर्ट
अर्थशास्त्री और विश्व असमानता लैब के को-डायरेक्टर – लुकास चांसलर, अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी, इमैनुएल सैज और गेब्रियल जुकमैन द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में टॉप 10 अमीरों की आय देश की कुल आय का 57 प्रतिशत है, वहीं एक प्रतिशत अमीरों की आय देश की कुल आय के 22 फीसदी के बराबर है, जबकि निचले स्तर की बात करें तो 50 प्रतिशत आबादी की आय सिर्फ 13 फीसदी है।
हालाँकि इससे पहले आॅक्सफेम की रिपोर्ट मे भी इस समस्या का जिक्र 3 वर्ष पूर्व किया गया था, जो भारत मे बढ़ती आर्थिक असमानता को दर्शाती थी। आॅक्सफेम की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2018 में विश्व में अरबपतियों की आय में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं भारत में अरबपतियों की आय में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। इस दौरान 18 नए अरबपति भारत में उभरे, फिर कोरोना महामारी के दौरान इनकी संख्या बढ़ कर 45 हो गयी।