सहायक प्रोफेसर, कम्प्यूटर विज्ञान विभाग, आर्यभट्ट कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
जो अपने बिछड़ गए हैं, वे भी अब आपकी खुशियों में शरीक होंगे। कभी मंगल तो कभी चाँद पर चहलकदमी करते हुए एक ही छलांग में आप धरती पर आ जायेंगे। आप सोच रहे होंगे क्या मजाक है, लेकिन यह मजाक नहीं ‘मेटावर्स’ है । किसी शादी में सिर्फ और सिर्फ वर्तमान समय में मौजूद लोग ही सम्मिलित हो पाते है लेकिन यकिन मानिए अब आने वाले समय में ऐसा नही होगा । अब किसी भी शादी में तीनों काल (भूत, वर्तमान, भविष्व) के सगे सम्बंधी भी सम्मिलित हो पाएगें। क्योकि विज्ञान की नई तकनीक मेटावर्स तीनों कालों को एक साथ जोड़ने जा रही है।आज विज्ञान के इस दौर में हम लोग किसी सीरियल में किसी देवी या देवता को एक जगह से दूसरी जगह पल भर में जाते हुए देखते हैं तो हममे से काफी लोगों को ये कल्पना ही लगती है परन्तु यकीन मानिये हम लोग तकनीक के उस दौर में प्रवेश करने वाले हैं जहाँ ये सब बड़ी आसानी से होने वाला है। शुरू से ही मानव की प्रवृति रही है की वो उन चीजों पे यकीन करता है जिसको वो देखता है या अनुभव करता है। आज से 100 साल पहले किसने कल्पना की थी की हम लोग दुनिया के किसी भी कोने में किसी से भी टेलीफोन द्वारा या वीडियो कॉन्फेसिंग द्वारा बातचीत कर सकेंगे या हवाई जहाज द्वारा हवा में पंक्षियों से भी तेज उड़ सकेंगे। हो सकता है की आने वाले वक़्त में हम लोग उतनी ही आसानी से चन्द्रमा या किसी दूसरे ग्रह पे पहुँच जाएँ जितनी आसानी से आज हम अमेरिका पहुँच जाते हैं, अगर पहुँच न पाएं तो पहुँचने का अनुभव तो करा ही सकें। मेटावर्स तकनीक के जरिये जल्द ही ये सारी चीजें सम्भव होंगी।
पिछले कुछ दिनों से तकनीक की दुनिया में मेटावर्स सुर्खियों में है, चाहे वह फेसबुक द्वारा अपना नाम बदलकर मेटा करना हो या फिर मेटावर्स के जरिए किसी मां की मृत हो चुकी बच्ची को इस आभासी दुनिया के माध्यम से बात कराने की हो। कोरोना काल के अनुभवों के बाद यह मानना काफी हद तक सही होगा कि यह इंटरनेट की दुनिया का भविष्य बनने जा रहा है। ‘मेटावर्स’ शब्द को नील स्टीफेंसन ने अपने उपन्यास ‘स्नो क्रैश’ में 1992 में प्रयोग किया था। फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने जब अपनी कंपनी का नाम बदल कर मेटावर्स कर दिया था तभी से यह शब्द चर्चा में है। आने वाले समय में फेसबुक केवल एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म नहीं रहेगा बल्कि एक ऐसा प्लेटफार्म होगा जिसमे एक वर्चुअल दुनिया होगी और उसमें हम सभी उसी तरीके से रह पाएंगे जैसे वास्तविक दुनिया में रहते हैं। अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए फेसबुक ने 10,000 लोगों को नौकरी देने की घोषणा के साथ- साथ 50 मिलियन डॉलर के निवेश का भी लक्ष्य रखा है। फेसबुक के आलावा गूगल , माइक्रोसॉफ्ट, फोर्टनिटे, रोब्लोक्स क्रॉप इत्यादि अग्रणी कम्पनियाँ मेटावर्स तकनीक को विकसित करने के लिए आगे आ रही हैं। अभी इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए आप कंटेंट को केवल देख, सुन और पढ़ पाते हैं, लेकिन ‘मेटावर्स’ तकनीक आपको एडवांस स्टेज में ले जाएगी जहां आप किसी चीज, व्यक्ति या स्थान को ना सिर्फ देख, सुन और पढ़ पाएंगे, बल्कि उसे छूकर महसूस भी कर पाएंगे। सरल भाषा में मेटावर्स इंटरनेट का ऐसा भविष्य बनने जा रहा है जिसे इंटरनेट का वर्जन 2.0 भी कहा जा रहा है।आवश्यकता को अविष्कार की जननी कहा जाता है। इतिहास गवाह है की जब जब मनुष्य को कोई आवश्यकता हुई तब-तब नए अविष्कार हुए। आज का मानव इतना व्यस्त हो चुका है की उसके पास समय का अभाव है। मनुष्य समय तो नहीं बढ़ा सकता लेकिन समय बचा सकता है। समय को बचाने की आवश्यकता ने ही मेटावर्स तकनीक को ईजाद किया है। मेटावर्स शब्द मूलत: दो शब्दों से मिलकर बना है मेटा और वर्स मेटा शब्द का अर्थ ‘परे’ (बियॉन्ड) होता है। वर्स शब्द यूनिवर्स से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘ब्रह्मांड’ होता है । इस प्रकार मेटावर्स शब्द का मतलब ‘ब्रह्मांड से परे’ (बियॉन्ड यूनिवर्स) है। मेटावर्स सीमाओं से परे एक ऐसी आभासी दुनिया होगी जो हम सबको वास्तविक दुनिया की तरह आभासी दुनिया में जीने का अवसर देगी। आसान शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, सोशल मीडिया, आँग्मेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी के साथ साथ अनगिनत विकसित हो चुकी या विकसित हो रही तकनीकों का एक मिश्रण होगी मेटावर्स की दुनिया। मेटावर्स के माध्यम से आप वो सारे काम कर पाएंगे जो आज आपको असंभव लगता है। आप किसी वर्चुअल कॉन्सर्ट में जा पाएंगे,आँनलाइन ट्रिप पर जा पाएंगे, डिजिटल कपड़े ट्राई करने के साथ-साथ खरीद भी पाएंगे, वर्क-फ्रॉम-होम तो मानो सामान्य सी बात हो जाएगी। घर में बैठकर भी ऐसा लगेगा, जैसे कि आप आफिस में बैठे हैं। कभी भी मीटिंग हो सकेगी और मीटिंग में बैठे लोगों को लगेगा कि एक कमरे में बैठकर पूरा डिस्कशन किया गया है। फेसबुक (अब मेटा) ने पहले ही एक मीटिंग सॉफ्टवेयर हॉरिजन वर्करूम्स लॉन्च कर दिया है। इसे आँक्युलस वीआर हैडसेट्स के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। ये मीटिंग के लिए ऐसा एन्वायरमेंट (वातावरण) बनाता है, कि पहली बार में यकीन कर पाना मुश्किल होता है। आज 21वीं सदी में हम लोग विकास के उस दौर में पहुँच चुके हैं जहाँ हमें कुछ भी सामान खरीदने के लिए बाजार जाने की आवश्यकता लगभग खत्म हो चुकी है। आज हम लोग खाने पीने के सामान से लेकर कपडे, फल, दवाईयां इत्यादि सामान विभिन्न ऑनलाइन ऍप्लिकेशन्स के माध्यम से या वेबसाइट के माध्यम से बिना बाजार गए घर पर बैठे-बैठे कुछ मिनटों में ही मंगा सकते हैं। लेकिन आज भी जो बात सामान देखकर खरीदने में है वो बात ऑनलाइन खरीददारी में नहीं आ पायी है। आज हम लोग सामान खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जाँच करना चाहते हैं, जैसे कपड़ा खरीदने से पहले कपड़ें को छू कर देखना चाहते हैं। आज मेटावर्स के माध्यम से धीरे-धीरे हम लोग तकनीक के उस दौर में पहुँच रहे हैं जहाँ हमें कोई भी सामान खरीदने के लिए किसी ब्रांडेड शोरूम में नहीं जाना होगा चाहें आप संसार के किसी कोने में हों मेटावर्स आपको शोरूम में बिना उपस्थित हुए भी वहां उपस्थित होने का एहसास कराएगी। आज हमे अपनी पसंद का इत्र खरीदना हो तो उसकी सुगंध का अनुभव अभी तक आप बिना उस दुकान पर गए नहीं ले सकते, परन्तु मेटावर्स के जरिये ये भी संभव होगा । इन दिनों मेटावर्स की इस आभासी दुनिया में जमीन लेने का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। अब कोई भी इस आभासी दुनिया में जमीन खरीदकर अपना घर बना सकता है या अपनी जमीन पर अपना कोई शोरूम खोल सकता है। अभी पिछले दिनों में द सैंडबॉक्स में 4.3 मिलियन डॉलर (लगभग 32 करोड़ रुपये) की जमीन बेची गई। आने वाले वक़्त में बिजनेस की दुनिया में मेटावर्स की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। मेटावर्स से प्रेरित होकर फेसबुक ने जब से अपने आप को मेटा नाम से रिब्रांड किया है तभी से से डेसेंटरलैंड और द सैंडबॉक्स में जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी है। इस आभासी जमीन की कीमत जमीन की साइज और मेटावर्स के सेंटर से जमीन की दूरी पर निर्भर करती है। आज फेसबुक के अलावा एडिडास जैसे ब्रांड्स भी मेटावर्स में जमीन खरीद रहे हैं। कई कंपनियों का मानना है कि ज्यादातर रिटेल आने वाले टाइम में मेटावर्स में ही होंगी और मेटावर्स की यह जमीन वास्तविक न होकर के आभासी होगी। आने वाले समय में लोग वास्तविक जमीन सिर्फ अपने इस्तेमाल के लिए खरीदेंगे । जमीन में इन्वेस्ट करने वाले लोग अब मेटावर्स की जमीन पर इन्वेस्ट करेंगे जैसे की मान लीजिये आप कहीं पर जमीन खरीदकर उसपर कोई शोरूम बनाना चाहते हैं तब मेटावर्स पर खरीदी हुयी जमीन पर आप अपना कोई भी शोरूम खोल सकते हैं जिसको भी आपके शोरूम से कुछ सामान खरीदना होगा तो वहीं पर आपके शोरूम से सामान खरीद लेंगे। मेटावर्स के आने से विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों के बढ़ने की पूरी संभावना तो है ही साथ ही साथ आज इंटरनेट और सोशल मीडिया के आदी होते जा रहे। मानव समाज को विभिन्न प्रकार की मानसिक और शारीरिक बीमारियों का भी खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। मेटावर्स पर काम करने वाली कंपनियों को इस दिशा में भी कुछ सोचना होगा अन्यथा मानव कल्याण के लिए काम करने वाला विज्ञान कब मानव का नाश कर देगा ये पता भी नहीं चलेगा।